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पद्मावती में समस्या रणवीर सिंह के खिलजी बनने में है

घोषणा के साथ ही मुसीबतों से घिरी रही पद्मावती की रिलीज में आखिर क्या रोड़ा है?

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अलाउद्दीन खि‍लजी के किरदार में रणवीर सिंह
अलाउद्दीन खि‍लजी के किरदार में रणवीर सिंह

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पद्मावती दिलचस्प है. न सिर्फ फिल्म, बल्क‍ि इसे लेकर हो रहा हंगामा भी. इस तरह के युद्ध के दृश्य, सशक्त भाषा और बीच-बीच में हास्य ने इस फिल्म का मुफ्त में प्रमोशन किया है. संजय लीला भंसाली को प्रमोशन पर खर्च करने की जरूरी नहीं पड़ी. राजस्थान के डिस्ट्रीब्यूटर्स ने राजपूत समाज के विरोध के बाद भंसाली की इस मध्ययुगीन कहानी के प्रदर्शन से इंकार कर दिया है. अब इसमें राजनेता भी कूद पड़े हैं.

इतना ही नहीं, इस फिल्म ने गुजरात के भाजपा और कांग्रेस नेताओं को भी एक कर दिया है, वे फिल्म के एडिटिंग की मांग कर रहे हैं. वे नहीं चाहते कि इससे राजपूतों की भावनाएं आहत हों. अपनी बहादुरी के लिए पहचाने जाने वाले राजपूत दावा कर रहे हैं कि उनकी भावनाएं आहत हैं, क्योंकि फिल्म में अलाउद्दीन खि‍लजी के किरदार को महारानी पद्ममिनी के बारे में सोचते हुए दिखाया गया है.

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निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि इस तरह के सोचने का कोई सीन फिल्म में नहीं है. ट्रेलर लॉन्च हो चुका है. ये खिलजी के बारे में कम और राजपूतों की बहादुरी, त्याग और न्याय के बारे में ज्यादा है. इस पूरे मामले में सुनिश्चित नहीं किया गया है, सिर्फ अनुमान लगाया गया है कि फिल्म भावनाओं को आहत करने वाली है.

अब ऐसे में सवाल ये है कि पद्मावती में गलत क्या है? सारे साक्ष्यों को देखते हुए हम सुरक्ष‍ित रूप से कह सकते हैं कि ये ऊर्जा से भरपूर एक्टर रणवीर सिंह की पसंद है, जि‍न्होंने अलाउद्दीन खिलजी का किरदार चुना. रणवीर सिंह सामान्यत: विलेन के रोल के लिए नहीं बने हैं. वे शक्त‍ि कपूर, रजा मुराद, अमरीश पुरी, प्रकाश राज, आशीष विद्यार्थी या आशुतोष राणा नहीं हैं, जिन्हें लोगों ने विलेन के रूप में स्वीकार किया है. हमारा समाज सिनेमा को गंभीरता से लेता है. रणवीर सिंह हीरो मटेरियल हैं. वे स्टार हैं.

दरअसल, उनका डर यह है कि खिलजी के किरदार को रणवीर द्वारा निभाए जाने के बाद वह आकर्षक बन जाएगा. ये किसी ब्लैक एंड व्हाइट बॉलीवुड फिल्म के पारंपरिक किरदार की तरह नहीं है. रणवीर इस सबको 'ग्रे' बनाएंगे और राजपूत इसे सामान्य रूप से स्वीकार नहीं करेंगे. खिलजी बर्बर नहीं था, जैसा कि ट्रेलर में दिखाया गया है. वह कठिन और सुसंस्कृत शाहंशाह हो सकता है, लेकिन उसके समसामायिकों द्वारा लिखा गया इतिहास उसे बेहद क्रूर, धार्मिक अंधत्व से भरा और हजारों लोगों का हत्यारा बताता है, यहां तक कि उसने महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा.

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राजपूतों का मानना है कि खिलजी को मानवीय बताना उन हजारों राजपूतों का अपमान है, जिन्हें इसलिए मार दिया गया, क्योंकि उन्होंने खिलजी के अधिपत्य को स्वीकार नहीं किया था. क्या यही कारण है?

यह एक कारण है. और दूसरा है भावनाओं के आहत होने के खेल की दौड़. क्या हमें उन फिल्मों की लिस्ट की जरूरत है, जो इस कारण से मुसीबत में आ गईं, क्योंकि इसने जाति और समुदाय को उचित ढंग से नहीं दिखाया. ये सिर्फ पहचान और रचनात्मकता को काबू में करने के लिए है. पिछली सरकारें और विपक्ष इस खेल में शामिल रहे हैं. राजपूत इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आगे जाकर समझौता होगा. फिल्म में कुछ छोटे-मोटे कट लगेंगे और ये बॉलीवुड के लिए चेतावनी होगी कि इतिहास को दूर ही रखें, क्योंकि हमारा इतिहास अलग है.

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