मशहूर ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. पिछले कई दिनों से उनका बीएम बिड़ला नर्सिंग होम में इलाज चल रहा था. ठुमरी क्वीन के नाम से मशहूर गिरिजा संगीत की दुनिया का जाना-माना चेहरा थीं. उनका निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है.
उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से अप्पा जी कहकर बुलाते थे. उनका जन्म 8 मई 1929 को बनारस में हुआ था. उनके पिता हारमोनियम बजाते थे और संगीत सिखाते थे. गिरिजा ने 5 साल की उम्र में सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्रा से ख्याल और टप्पा गाना सीखा था. उन्होंने 9 साल की उम्र में फिल्म 'याद रहे' में काम किया था.
पद्म विभूषण से सम्मानित ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का निधन
गिरिजा ने 1949 में संगीत की दुनिया में ऑल इंडिया रेडिया, इलाहाबाद से पब्लिक डेब्यू किया था. हालांकि उनके लिए अपने संगीत को दुनिया तक पहुंचाना आसान नहीं था. उन्हें अपनी मां और दादी की आलोचना झेलनी पड़ी थी. उनका मानना था कि अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों के सामने परफॉर्म नहीं करते. घर में विरोध का सामना कर रही गिरिजा ने फैसला लिया कि वह दूसरों के लिए परफॉर्म नहीं करेंगी. लेकिन उन्होंने साल 1951 में बिहार में पहला पब्लिक कॉन्सर्ट किया.
गिरिजा 1980 में आईटीसी संगीत रिसर्च अकाडमी कोलकाता की और 1990 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की फैकल्टी मेंबर बनी थीं. उन्होंने स्टूडेंट्स को संगीत से जुड़ी जानकारी दी. गिरिजा ने 2009 में कई संगीत से जुड़े टूर किए. गिरिजा देवी बनारस घराने से गाती थीं और पूरबी आंग ठुमरी शैली परंपरा का प्रदर्शन करती थीं.
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बनारस घराने की शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी को शास्त्रीय संगीत के साथ ही ठुमरी गाने में भी महारथ हासिल थी. गिरिजा ने अर्द्ध शास्त्रीय शैलियों जैसे कजरी, होली, चैती को अलग मुकाम दिया. वह ख्याल, भारतीय लोक संगीत और टप्पा भी बहुत ही शानदार तरीके से गाती थीं.
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वह संगीत से जुड़े हर सम्मान से पुरस्कृत की गई थीं. 1972 में गिरिजा देवी को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. 1989 में उन्हें पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, अकादमी फेलोशिप, यश भारती समेत कई पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया जा चुका था.