इंडिया टुडे के संपादक प्रभु चावला ने आजतक के सीधी बात कार्यक्रम में बाल कलाकार अविका गौर से बात की. उसके अंशः
दो साल में लाडो बहुत बड़ी हो गई, अब क्या करेंगी?
अविका को बड़े होकर मिस यूनिवर्स बनना है और आनंदी को टीचर बनना था, लेकिन वह सिर्फ आठवीं तक ही पढ़ी है इसलिए अब देखिएगा कि आनंदी के जीवन में कितने बदलाव आएंगे.
आप मिस यूनिवर्स बनना चाहती हैं? क्यों?
क्योंकि मुझे मॉडलिंग बहुत पसंद है. मैं भारत का नाम रोशन करना चाहती हूं और देश के लिए कुछ करना चाहती हूं.
बालिका वधू बनने के लिए मानसिक रूप से कैसे तैयार हुईं? वधू-वर क्या होता है, यह पता था?
पटकथा ध्यान से पढ़ ली थी और पता था कि मुझे क्या करना है. निर्देशकों ने समझ भी दिया था. पापा ने भी बहुत मदद की और लोगों ने मेरे काम को पसंद किया. जी हां, बाल विवाह के बारे में पहले पता नहीं था. पांचवीं क्लास में इस बारे में पढ़ा था तब जाना था कि यह सब अभी भी चलता है. लेकिन मेरा मानना है कि बाल विवाह नहीं होना चाहिए
लगता है, जैसे आपका बचपन खत्म हो गया? कितने घंटे काम करती हैं?
ऐसा नहीं लगता क्योंकि शूटिंग करना मेरी हॉबी है. काम के घंटे निर्भर करते हैं इस बात पर कि सीन कितने करने हैं? वैसे बड़े सीन शनिवार-रविवार को होते हैं.
परदे पर सबसे ज्यादा रोना किस दृश्य में आया?
जब मुझे और जगया को अलग कर दिया था, तब सबसे ज्यादा रोई थी. मैंने बहुत आंसू बहाए थे. वैसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि जगया यानी अविनाश मेरे ही स्कूल में है. मुझे असली आंसू भी आ जाते हैं जब सोचती हूं कि अगर अविका के साथ ये सब असल में हो रहा होता तो वह क्या करती. वैसे असल जीवन में कभी नहीं रोती.
बालिका वधू की भूमिका से क्या सीखा?
मेरे पापा सिखाते हैं कि हर लम्हे को खुलकर जीना चाहिए, अपनी राह खुद बनानी चाहिए और बीते कल से अच्छा सीखकर आने वाले कल को और भी अच्छा बनाना चाहिए.
ऐसा तो नहीं कि आनंदी को घमंड आ जाएगा?
नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा.
आपका सपना क्या है?
मिस यूनिवर्स बनना, बॉलीवुड में सफल अभिनेत्री बनना और पढ़ाई के क्षेत्र में ऐसी पढ़ाई करना जो फिल्म इंडस्ट्री से संबंधित हो.