टीवी इंडस्ट्री के विशेषज्ञों की मानें दर्शकों को चैनल की वैरायटी मुहैया कराने के लिए साल 2014 में इंडियन टेलीविजन पर नए दौर की शुरुआत हुई है.
इस साल टेलीविजन की दुनिया में कई बदलाव देखने को मिले, फिर चाहे यह अर्से से चले आ रहे 'पवित्र रिश्ता' और 'बड़े अच्छे लगते हैं' जैसे सीरियल का टेलिकास्ट बंद होना हो या 'जिंदगी चैनल' के जरिए पाकिस्तानी धारावाहिकों का टेलिकास्ट शुरू होना हो.
छोटे पर्दे पर इतिहास एक सदाबहार विषय रहा है. इस विषय के असंख्य कद्रदान हैं. इसी वजह से इस साल 19 नवंबर को 'एपिक' नाम से एक नया चैनल शुरू हुआ है, जो इसी शैली को समर्पित है. वहीं 1 सितंबर से 'पल' चैनल लॉन्च हुआ है इसका मकसद ट्रेडिशनल के साथ-साथ मॉर्डन महिला की छवियों को एकसाथ शोकेस करना है. अप्रैल, 2011 को उत्तर प्रदेश में लॉन्च हुआ रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क का 'चटपटा हर पल' टैग लाइन वाला 'बिग मैजिक' चैनल एक कॉमेडी चैनल के तौर पर उभर रहा है.
वहीं डिस्कवरी ने एक दिसंबर से 'डिस्कवरी टर्बो' नाम से एक नए चैनल की शुरुआत की है. डिस्कवरी नेटवर्क एशिया-पैसिफिक के मार्केटिंग के उपाध्यक्ष राहुल जोहरी को लगता है कि यह वक्त दर्शकों के सामने बेहतरीन कंटेंट का एक बड़ा थाल परोसने जैसा है. राहुल ने बताया, 'हम एक ऐसे युग में पहुंच गए हैं, जहां 24 घंटे अच्छे कंटेंट वाले चैनल टेलिकास्ट हो रहे हैं. एपिक टेलीविजन नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के सीइओ महेश सामत कहते हैं कि छोटे पर्दे पर कंटेंट की कमी नहीं है, लेकिन हालिया समय में ज्यादातर चैनलों पर कार्यक्रमों एक जैसे होने की वजह से दर्शकों के लिए डिफरेंट कंटेट वाले चैनल बनाने की जरूरत पड़ी है.
सामत ने बताया, 'हमें एक बात का अहसास हुआ कि छोटा पर्दा एक जैसाहो रहा है और इसलिए इसमें वैरायटी लाना जरूरी है. इसके अलावा राहुल ने कहा कि चैनल की वैरायटी आना ऐड जगत के लिए फायदे का सौदा है.
फिक्की-केपीएमजी की 'इंडियन मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री रिपोर्ट-2014' के मुताबिक भारत में टेलीविजन इंडस्ट्री 2013 में 417 अरब रुपये का रहा और 2013 से 2018 के बीच इसके 16 फीसदी की दर से विकास करने का अनुमान है. इस तरह 2018 में यह इंडस्ट्री 885 अरब रुपये की हो जाएगी.