पाकिस्तानी एक्ट्रेस वीना मलिक को अपनी बोल्डनेस के लिए जाना जाता है. हमेशा विवादों की वजह से सुर्खियों में रहने वाली वीना की फिल्म सुपरमॉडल इस शुक्रवार को रिलीज हो रही है. उनसे हुई बातचीत के खास अंशः सुपरमॉडल में आपका रोल?
वीना मलिक की तस्वीरें जिनसे मचा बवाल
यह रोल कैसे मिला?
जब इसके बारे में मुझे पता चला तो मुझे लगा कि यह फैशन जैसी फिल्म होगी. जिसमें सिर्फ वन साइडेड स्टोरी दिखाई गई थी. लेकिन यह फिल्म पूरी तरह अलग है. इसमें कोई फिलॉसफी नहीं है, एकदम सिम्पल है. ड्रग, एल्कोहल नहीं दिखेगा बल्कि सुपरमॉडल बनने की डिजायर दिखेगी. आखिर किस तरह यह चाहत गलत काम भी करवा सकती है.
आपको जिस तरह के बोल्ड रोल ऑफर हो रहे हैं, उससे आप संतुष्ट हैं?
यह रास्ता बहुत छोटा सा है. मैंने अपना रास्ता खुद चुना है. मैं किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं हूं. किसी मल्टीस्टारर में खड़ी होकर एक छोटा रोल नहीं करना चाहती. जब मैंने अपना करियर शुरू किया तो मैंने सोचा था कि बेशक मुझे एक छोटे से रास्ते से शुरू करना होगा, लेकिन मैं अपनी राह खुद चुनूंगी और पहचान बनाऊंगी. मैं सेटिसफाइड हूं. यह मेरी चौथी फिल्म है. कई मल्टीस्टारर फिल्में डिब्बे में बंद पड़ी हैं. मेरी सारी फिल्में मेरे नाम से आई हैं.
आप अभी तक अपना चैलेंजिंग रोल किसे मानती हैं?
बोल्डनेस के बारे में आपका क्या कहना है?
लोग मुझे खूबसूरत चेहरे और हॉट बॉडी के लिए जानते हैं. लेकिन यह बहुत रेयर कॉम्बिनेशन है. मैं बहुत ही टैलेंटेड और मेहनती हूं. मुझे चैलेंजिंग रोल करना पसंद है. रोल चॉयस के मामले में मैं बहुत बोल्ड हूं. अब आप सिल्क स्मिता के रोल को ही देखें. लेकिन मैंने बोल्ड होकर उसे चुना.
पाकिस्तानी एक्ट्रेस होने के नाते भारत में किस तरह की परेशानी आती है?
मुझे जिंदगी या बॉलीवुड में उतनी ही मुश्किलें पेश आती हैं जितनी आम भारतीय एक्ट्रेसेस को. पाकिस्तानी होने के नाते कुछ छोटी-मोटी समस्याएं रहती हैं. लेकिन मैं बॉलीवुड में जितना भी काम कर रही हूं, उसकी काफी कद्र करती हूं.
औरतों के खिलाफ क्राइम पर क्या कहना है?
औरत के खिलाफ क्राइम हमेशा से चल रहा है. लेकिन आज से पहले इसे छिपाकर रखा जाता था. नाइंसाफी को मां-बाप इसलिए छिपा देते थे कि उनकी बेइज्जती होगी. अब समय बदल गया है. जब किसी क्राइम के खिलाफ आवाज बुलंद होती है तो पता चलता है कि समाज बदल रहा है. यह भारतीय समाज के लिए क्रांतिकारी समय है और भारतीय समाज तेजी से बदल रहा है. हाल के निर्भया के हादसे से जिस तरह से औरतें और मर्द साथ आए हैं, बलात्कारियों को सजा मिली है, वह वाकई काबिलेतारीफ है. अब जागरूकता बढ़ी है. मुझे लगता है कि आने वाले समय में भारतीय समाज औरतों के लिए काफी प्रोटेक्टिव होगा.
एक तबका औरतों के खिलाफ बढ़ते क्राइम के लिए बोल्ड फिल्मों को दोषी ठहराता है, आपका क्या कहना है?
बहुत ही बेकार बात है कि टीवी पर दिखाई जाने वाली बोल्डनेस किसी घटना के लिए जिम्मेदार है. बोल्डनेस तो एक क्लिक की दूरी पर है. पोर्न तो क्या हर चीज इंटरनेट पर है. आज सबके पास इंटरनेट है. हमें समाज को एजुकेट करने की जरूरत है. किसी चीज को अंधाधुंध फॉलो नहीं करना है. हमें अपने लोगों को सही चीज चुनना सिखाना है.