निर्माता निर्देशक विक्रम भट्ट की फिल्म 'लव गेम्स' इस हफ्ते रिलीज हुई है. विक्रम भट्ट ने इस फिल्म के बारे में और अपने प्रोजेक्ट्स के बारे में कई बातें शेयर की.
'लव गेम्स' ये कैसा खेल है?
एक दुनिया ऐसी है जो रियलिटी के नाम पर सिर्फ गरीबी और हकीकत की बात करती है, 'सेक्स' की बात करना गलत माना जाता है. क्योंकि सेक्स की
दुनिया की रियलिटी अगर दिखाना चाहें तो लोग कहते हैं कि 'अरे यार सेक्स बेच रहा है.' लेकिन मुझे 'सेक्स' बेचना है वो भी जिम्मेदारी के साथ. उसी खेल
को हमने 'लव गेम्स' में दर्शाया है.
इस फिल्म को लेकर कुछ रिसर्च भी रही?
जी, सेक्स का मुद्दा था, हमने लगभग 5-6 महीनों की रिसर्च की, लोगों से मुलाकात की, बातचीत की, उसे वीडियो कैमरा पर रिकॉर्ड किया. इंटरनेट पर
'स्विंगर्स' टाइप करेंगे तो आपको ऐसे हजार वेब साईट्स मिलेंगे. उसके बाद हमने फिल्म बनाने की सोची.
क्या एक ही वक्त पर 'लव गेम्स' के साथ-साथ आप 'राज 4' भी बना रहे थे?
'लव गेम्स' पहले खत्म की, उसके बाद ही 'राज 4' बनाना शुरू की.
'थ्रिलर' और 'सेक्स ड्रामा' के आगे कौन सी फिल्मों को बनाने की चाह है?
अगला क्या है ये तो मुझे पता नहीं, लेकिन फिलहाल मेरे दिमाग में 'लव गेम्स' है. मुझे पता है कि इस देश का यूथ इस फिल्म को जरूर पसंद
करेगा. हमारे देश का यूथ 'ट्विटर' और 'फेसबुक' पर अपनी बात जरूर कह डालता है. मैं यूथ तक ये फिल्म पहुंचाना चाहता हूं.
फिल्म के लिए वर्कशॉप किया?
हां, मैंने 2 बार एक्टर्स के साथ वर्कशॉप किया, फिर बंद कर दिया, मेरे ये ये वर्कशॉप वाला काम नहीं हो पाता है क्योंकि हमने हमेशा सेट पर काम
किया है. तीनो बहुत ही अच्छे एक्टर्स हैं.
रिलीज से पहले क्या सोच रहती है?
डायरेक्टर को फिल्म का हाल पता होता है, वो अलग-अलग उम्मीदें करता रहता है, मेरी फिल्म '1920' पर मुझे यकीन था, हालांकि कुछ बैनर्स ने उसे
पूछा भी नहीं. तो 'लव गेम्स' पर यकीन है.
आपको क्या लगता है कि एक डायरेक्टर का खुद की फिल्म में एक्टिंग करना सही है?
ऐसा नहीं है, हर किस्म के लोग होते हैं, राज कपूर साहब एक्टिंग डायरेक्शन भी करते थे, ये सब आपके टैलेंट पर निर्भर करता है, जो कर सकता है,
उसे करना चाहिए.
'प्यार' आपके लिए क्या है?
प्यार व्यार कुछ होता नहीं हैं, सब 3 -4 महीने का खेल है. उसके बाद या तो दोस्ती रहती है, या आप डगमगा जाते हैं. आप कहीं और जाने लगते हैं.