नवाजुद्दीन सिद्दीकी किसी पहचान के मोहताज नहीं रह गए हैं. 19 मई, 1974 को जन्मे नवाजुद्दीन एक उम्दा एक्टर तो हैं ही लेकिन साथ ही वो अपने रोल्स के लिए कई स्तर पर प्रेरणा लेते हैं. फिर चाहे गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए रसूखदार जमींदारों से प्रेरणा लेनी हो या फिर किक में अपनी खतरनाक हंसी के लिए मनोज वाजपेई का स्टाइल कॉपी करना हो. नवाज अपने किरदार को परफेक्ट बनाने के लिए हर साधन का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसके चलते कई बार उनके साथ कुछ ऐसी ट्रैजडी हो जाती है जिसके बारे में उनको शायद ही उम्मीद हो.
फिल्म कम्पेनियन से बात करते हुए नवाजुद्दीन ने फिल्म लंचबॉक्स के अपने कैरेक्टर के बारे में बात की. उन्होंने बताया 'मेरा एक दोस्त है जो एक्टर है. हम कुछ समय तक साथ में भी रहे थे. वो मुझसे अपनी पर्सनल परेशानियों को भी साझा करता था. मैं कहीं ना कहीं इस फिल्म में उसकी तरह बात कर रहा था. उसने ये फिल्म देखी थी और मुझे धन्यवाद दिया था. लेकिन मेरे इस रोल के बाद उसे काम मिलना बंद हो गया था. वो कहीं भी ऑडिशन के लिए जाता तो उसे कहते कि इस किरदार और इस तरह के एक्सेंट के साथ तो नवाजुद्दीन पहले ही एक किरदार कर चुके हैं. वो बोलता था कि हम तो ओरिजिनल में ही ऐसे हैं, उन्होंने मुझे कॉपी किया था. तो उस चक्कर में थोड़ा परेशान रहता था वो. वो मुझे जहां भी मिलता है, गालियां देता है कि तूने मेरी रोजी रोटी पर लात मार दी. इस तरह की बातें करता था.'
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नवाजुद्दीन ने आगे बताया 'लंचबॉक्स में इरफान खान के साथ एक सीन के सहारे मुझे मैकमाफिया वेबसीरीज़ तक के लिए ऑफर आया था. ये सीन इतना पावरफुल है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बेहतरीन सीन्स कहीं खो जाते है. इस सीन के साथ भी ऐसा ही हुआ और ये मेरे पसंदीदा शॉट्स में से एक है. इस सीन को करने के दौरान मैं अपने दोस्त के बारे में ही सोच रहा था. मैंने इस त्रासदी को बिल्कुल वैसे ही किया जैसे वो अपनी रियल लाइफ जिंदगी में था. मैं अंदर ही अंदर से रो रहा था लेकिन मैंने अपने आप से शर्त लगाई थी कि मैं इस रोने को आंखों में नहीं लाऊंगा और ना ही अपने चेहरे पर लाऊंगा. मेरे एक्सप्रेशन बिल्कुल नहीं हिले, अगर ऐसा होता तो मेरे किरदार का जो मुख्य काम था, वो खत्म हो जाता.'