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जानिए आखिर क्‍यों रिलीज होनी चाहिए फिल्‍म 'MSG'?

देश में पहली बार कि‍सी धर्मगुरु ने फिल्‍म बनाने की हिमाकत की है. हिमाकत शब्‍द का इस्‍तेमाल इसलिए किया गया है क्‍योंकि हमारे देश म्‍ों माना जाता है की धर्मगुरुओं को नाचना गाना या रॉक कॉन्‍सर्ट करना शोभा नहीं देता. ऐसा नहीं है कि देश में रॉक कॉन्‍सर्ट या फिल्‍में रिलीज नहीं होती, सब होता लेकिन धर्मगुरु करे तो इस पर विवाद होना तय है.

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Film 'MSG'
Film 'MSG'

देश में पहली बार कि‍सी धर्मगुरु ने फिल्‍म बनाने की जुर्रत की है. 'जुर्रत' शब्‍द का इस्‍तेमाल इसलिए किया गया है, क्‍योंकि हमारे देश म्‍ों माना जाता है क‍ि धर्मगुरुओं को नाचना-गाना या रॉक कॉन्‍सर्ट करना शोभा नहीं देता. ऐसा नहीं है कि देश में रॉक कॉन्‍सर्ट या फिल्‍में रिलीज नहीं होतीं. सब होता है, लेकिन धर्मगुरु करे, तो इस पर विवाद होना तय है, क्‍योंकि सभी देशवासि‍यों के धर्मगुरु या 'गॉड मैन' कह लीजिए, एक नहीं हैं.

हर घर में परपंरा और आस्‍था के हिसाब से गुरु की मान्यता है भी और नहीं भी. अब इस बात के चलते किसी धर्मगुरु द्वारा पूरे देश में अपनी फिल्‍म का प्रचार करना जाहिर-सी बात है कि उन लोगों को रास नहीं आएगा, जो उन्‍हें नहीं मानते. यहां बात हो रही है 'डेरा सच्चा सौदा' के प्रमुख गुरमीत राम रहीम की, जिनकी फिल्‍म 'MSG- द मैसेंजर ऑफ गॉड' 16 जनवरी को रिलीज होनी थी, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इस फिल्‍म पर रोक लगा दी.

सेंसर बोर्ड का कहना है कि इस फिल्‍म में डेरा प्रमुख ने खुद को भगवान बताया है. हालांकि कि डेरा प्रमुख कई बार इंटरव्‍यू में इस बात को नकारते आए हैं. उनका कहना है कि उन्‍होंने फिल्‍म में खुद को भगवान के दूत के रूप में पेश किया है, न कि भगवान के रूप में. इस फिल्‍म के ट्रेलर में भी डेरा प्रमुख को एक डायलॉग बोलते हुए दिखाया गया है. डायलॉग है- ' करवाने वाले तो वो अल्‍ला, वाहे गुरु, गॉड, राम हैं, हम तो सिर्फ एक इंसान हैं.' खैर इस फिल्‍म पर रोक लगाए जाने की वजह कुछ भी हो, लेकिन इस फिल्‍म को रिलीज कि‍या जाना चाहिए. इसकी भी कई वजह लगातार सोशल साइट्स पर अपडेट की जा रही हैं. फिल्‍म क्‍यों रिलीज होनी चाहिए, ये हैं उसकी पांच वजहें:

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1. इस फिल्‍म को बनाने का सबसे बड़ा मकसद देश में थैलेसीमिया से ग्रस्‍त लोगों की मदद करना बताया जा रहा है. फिल्‍म से होने वाली कमाई से उन गरीब लोगों की सहायता करना जो इस बीमारी का खर्च उठाने में असमर्थ है.

2. डेरा प्रमुख द्वारा इस फिल्म के बारे दिए गए इंटरव्यू में कई बार इस बात का जिक्र किया है कि उनकी यह फिल्म यंगस्टर्स के लिए डेडिकेट है. उनका मानना है कि देश की युवा पीढ़ी ड्रग्स और कई तरह के नशों में लिप्त है. इससे उन्हें बाहर निकालने के लिए और उन तक यह संदेश पहुंचाने के लिए वही रास्ता अपनाना होगा, जिस पर वह अमल कर सकें, क्योंकि यंगस्टर्स की दिलचस्पी 3 घंटे के सत्संग से ज्यादा 3 घंटे की फिल्म देखने में  होती है. इसलिए इस फिल्म को एक माध्यम के तौर पर चुना गया है. डेरा चीफ को उम्मीद है कि यंगस्टर्स पर फिल्म का असर जरूर होगा और वह ड्रग्स जैसी चीजों से दूर रहेंगे.

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3. इस फिल्म को बॉलीवुड डायरेक्टर जीतू अरोड़ा ने प्रोडयूस किया है. फिल्म की रोक पर बॉलीवुड डायरेक्टर महेश भट्ट द्वारा भी बयान जारी किया गया है. महेश भट्ट ने एक हिन्दी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि इस फिल्म को न्याय जरूर मिलेगा. फिल्म इंडस्ट्री में जो लोग रचनात्मक स्वतंत्रता को लेकर और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए झंडे लेकर खड़े हो जाते हैं वे 'मैसेंजर ऑफ गॉड' की रिलीज रुकने पर क्यों खामोश बैठे हैं? उन्होंने कहा जो व्यक्ति 'पीके' और 'हैदर' की आजादी के लिए लड़ता है, उसका फर्ज है कि वह 'MSG' जैसी फिल्म के लिए भी लड़ें. यह सही नहीं है कि आप चुन-चुनकर फिल्मों के लिए खड़े हों. उन्होंने कहा, 'भले ही आप फिल्म बनाने वाले व्यक्ति से सहमत न हों, मगर उसे अधिकार है कि वह अपनी फिल्म दिखाए. अगर हम कहें कि हमारी कही बात कमाल की है और दूसरे की बात ठीक नहीं तो यह दोगलापन है.'

4. इस फिल्म के फेसबुक पेज पर यह बताया गया है कि फिल्म में करीब 15 मानवता और भलाई के कार्यों को करने का संदेश दिया गया है. इससे लोग प्रेरित होकर इंसानियत के रास्‍ते को अख्‍ति‍यार करेंगे.

5. इस फिल्‍म को लेकर ट्विटर पर यह हैशटैग #iSupportMSG टॉप ट्रेंड में जगह बनाए हुए है. इस iSupportMSG नाम के ट्विटर पेज पर फिल्‍म को रिलीज कि‍या जाना चाहिए और क्‍यों इसकी तमाम वजह बताईं जा रही हैं. इनमें से एक वजह बताई गई है-  'क्‍योंकि यह एक एंटी ड्रग फिल्‍म है, इसलिए ड्रग माफिया से सेंसर बोर्ड डर रहा है.'

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