भारतीय संस्कृति से लेकर हिंदी फिल्म जगत में पूरब और पश्चिम का मेल कोई नई बात नहीं है. लेकिन सिनेमाई संसार में इंसानी रिश्तों को करीने से सजाने और उसके जरिए मनोरंजन का तानाबाना बुनने वाले विशाल भारद्वाज ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है. विशाल ने अपनी अगली फिल्म में शेक्सपियर के नाटक ‘हैम्लेट’ को न सिर्फ ‘हैदर’ का रूप दिया है बल्कि उसे ऊर्दू के नामी शायर फैज अहमद फैज के कलाम से गुलजार भी किया है.
हालांकि, यह पहला मौका नहीं जब विशाल ने नामी शायर फैज अहमद फैज के कलाम को अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया है. इससे पहले भी वह कई हिंदी और ऊर्दू के शायरों की पंक्तियों को अपने गीतों का हिस्सा बना चुके हैं. इसका श्रेय विशाल के साथ गीतकार गुलजार को भी जाता है, क्योंकि विशाल की फिल्मों में कथानक के साथ बेहतरीन गीतों की जिम्मेदारी गुलजार पर होती है और इसे वे पूरी शिद्दत से अंजाम भी देते हैं.
फिलहाल बता दें कि ‘हैदर’ में भी फैज अहमद फैज की चंद पंक्तियों को गीत में पिरोकर गुलजार ने बड़ी ही खूबसूरती से संवारा है. विशाल के म्यूजिक से सजे इस खास कलाम को आवाज उनकी बीवी और गायिका रेखा भारद्वाज और अरिजित सिंह ने दी है.
इस बारे में विशाल कहते हैं,‘मेरी सभी फिल्मों के गीत गुलजार साहब लिखते हैं और ‘हैदर’ में उन्होंने फैज अहमद फैज की एक नज्म ‘आज के नाम और आज के फन के नाम’ की चन्द पंक्तियों को लेते हुए एक खूबसूरत नज्म 'गुलों में रंग भरे, बादलों बहार चले' बनाई है, जिसे रेखा ने गाया है. वैसे ‘हैदर’ के लिए हमने कुल दस गीत रिकॉर्ड किए हैं. एलबम के साथ फिल्म में भी आपको वह दस गीत मिलेंगे, लेकिन एलबम में पूरे और फिल्म में सिच्युएशन के अनुरूप थोड़-थोड़े होंगे. एक वादा मैं आपसे कर सकता हूं कि इसमें कहानी के अनुरूप संगीत में भी कश्मीर का स्वाद मिलेगा. कश्मीर के परंपरागत संगीत के साथ हार्ड रॉक भी है. साथ ही इतना तय है कि संगीत फिल्म के अनुसार ही है उससे अलग नहीं.
‘हैदर’ के साथ तब्बू ने भी अपनी गायकी की शुरूआत की है. फिल्म में तब्बू कश्मीर के पारंपरिक गीत ‘रोशेवालो’ गाती नजर आनेवाली है. हैदर 2 अक्तूबर को रिलीज होगी.