इंडिया टुडे माइंड रॉक्स समिट 2012 को फिल्म स्टार अजय देवगण ने संबोधित करते हुए कहा कि काम बोलता है और वो बोलने की बजाए सुनना पसंद करते हैं.
अजय देवगण ने कहा कि मैं ऐसा हरदम मानता हूं कि आपका काम बोलता है. यही कारण है कि मैं युवाओं से भी यही कहता हूं कि वह काम करें.
जब अजय देवगण से पूछा गया कि आप इतने चुपचुप से क्यों रहते हैं जबकि काजोल तो इतना बात करती है. अजय का कहना था कि काजोल को बोलना पसंद है जबकि मैं सुनना पसंद करता हूं.
अजय देवगण 1991 में 19 साल की उम्र में जब ‘फूल और कांटे’ से चर्चित हुए थे, उस समय तक उनका सपना अभिनय करना नहीं बल्कि फिल्म बनाना था.
राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके अभिनेता ने कहा कि उनकी इच्छा फिल्म बनाने की थी और उन्होंने कालेज में कई वृत्तिचित्र बनाए लेकिन इसके बाद उनके पिता स्टंट एवं एक्शन कोरियोग्राफर वीरू देवगन ने उन्हें फिल्म में काम करने के लिए कहा.
अजय ने ‘इंडिया टुडे माइंड राक्स यूथ समिट 2012’ में कहा, ‘मैं हमेशा से फिल्म बनाना चाहता था, अभिनय नहीं करना चाहता था. मैं 19 की उम्र में कालेज की जिंदगी का आनंद ले रहा था कि तभी मेरे पिता के मित्र ने मुझे एक फिल्म का प्रस्ताव दिया. मैं तैयार नहीं था लेकिन एक महीने बाद मैं शूटिंग कर रहा था.’
उन्होंने कहा, ‘फिल्म के दौरान भी मेरी इसमें रूचि नहीं थी और मैंने सोचा कि अगर यह सफल नहीं रही तो मैं फिल्म बनाऊंगा. लेकिन मैं भाग्यशाली रहा कि फिल्म सफल रही और मुझे कई अन्य प्रस्ताव मिले.’
अजय से जब एक प्रसंशक ने टैटू दिखाने को कहा तो अजय ने अपने सर्ट को खोलकर वह भी दिखाया और कहा कि टैटू के साथ मैंने अपनी बेटी के नाम को लिखा है.