उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में 27 अप्रैल 1912 को एक मुस्लिम परिवार में जन्मीं जोहरा सहगल भारतीय सिनेमा का जाना-पहचाना नाम हैं. जोहरा अपने माता-पिता की सातवीं संतान थीं. जोहरा बचपन से ही विद्रोही मिजाज की थीं. वे बचपन में टॉमबॉय की तरह रहती थीं. उन्हें लड़कियों की तरह गुड्डे गुड़ियों से खेलने का शौक नहीं था बल्कि पेड़ पर चढ़ना और बाहर खेलना पसंद था. बचपन में एक बार उन्होंने उदय शंकर को डांस परफॉर्म करते हुए देखा था. यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइंट था.
ऐसे हुई थी जोहरा-कामेश्वर की मुलाकात
यूं तो जोहरा का असली नाम साहिबजादी जोहरा मुमताजुल्लाह खान बेगम था लेकिन शादी के बाद उनका नाम जोहरा सहगल हो गया. ग्रेजुएशन करने के बाद जोहरा ने उदय शंकर के डांस ट्रूप में हिस्सा लिया. उन्होंने 1935 में उदर शंकर के डांस ट्रूप के साथ जापान में पहला डांस परफॉर्म किया था. यहीं उनकी मुलाकात कामेश्वर सहगल से हुई थी. चंद मुलाकातों के बाद दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे. उम्र में कामेश्वर जोहरा से आठ साल छोटे थे, लेकिन उनके प्यार ने उम्र की कोई सीमा नहीं देखी. पहले तो जोहरा के परिवार ने उनकी शादी के लिए साफ मना कर दिया पर बाद में वे मान गए. उनकी शादी 14 अगस्त 1942 को इलाहाबाद में हुई. कामेश्वर और जोहरा के दो बच्चे किरण और पवन सहगल हैं.
कोरोना से जंग जीतने के बाद अब ब्लड डोनेट करना चाहते हैं हॉलीवुड स्टार टॉम हैंक्स
स्वतंत्रता से पहले इलाहाबाद वो जगह थी जहां कोई हिंदू किसी मुस्लिम से बिना धर्म परिवर्तन किए शादी कर सकता था. उनकी शादी से जुड़ा एक किस्सा यह भी है कि उनकी शादी में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू शामिल होने वाले थे. लेकिन उन्हें जोहरा-कामेश्वर की शादी से कुछ दिन पहले गांधीजी के क्विट इंडिया मूवमेंट में समर्थन देने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया था.
बाहर से ऐसा नजर आता है तापसी पन्नू का मुंबई अपार्टमेंट, साझा की तस्वीर
कैसे बनीं बॉलीवुड की चहेती दादी
डांस छोड़ने के बाद जोहरा ने सबसे पहले पृथ्वीराज कपूर थिएटर में काम किया. फिर पति की मौत के बाद जोहरा लंदन चली गई थीं. वे 1990 के दौरान वापस भारत आईं. यहां उन्हें दादी मां के रोल मिलने लगे. उन्होंने हम दिल दे चुके सनम, दिल्लगी, तेरा जादू चल गया, साया, कल हो ना हो, वीर-जारा, चीनी कम, सांवरिया आदि फिल्मों में काम किया. इन सभी फिल्मों में उन्होंने दादी का किरदार निभाया और बॉलीवुड की फेवरेट दादी बन गईं. 2010 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.
102 साल की उम्र में हुआ था निधन
10 जुलाई 2014 को उनका कार्डिएक अरेस्ट की वजह से 102 साल की उम्र में निधन हो गया. मरने से पहले उन्होंने एक दफा एक इंटरव्यू में कहा था कि वे इलेक्ट्रिक क्रीमेसन (बिजली द्वारा शव को जलाने की विधि) चाहती हैं. उस वक्त जोहरा 85 साल की थीं. उन्होंने कहा था- 'मुझे मेरे अंतिम संस्कार पर कोई कविता या कोलाहल नहीं चाहिए. और भगवान के लिए मेरी अस्थियों को घर वापस मत लाना. अगर क्रीमेटोरियम (श्मशान घाट) अस्थियां रखने से मना करे तो टॉयलेट में फ्लश कर देना'.