कई साल से राम भक्त जिस शुभ दिन का इंतजार कर रहे हैं. वो दिन करीब आ चुका है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. खास मौके पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई हैं. आम जनता हो या सेलेब्स हर कोई भगवान राम के अयोध्या लौटने को लेकर जश्न में डूबा हुआ दिख रहा है. हर ओर खुशियों का माहौल है. इसी के साथ टीवी की सबसे यादगार रामानंद सागर की रामायण को कोई कैसे भूल सकता है. शो कि तीन अहम किरदार अरुण गोविल, दीपिका, सुनील लहरी इस वक्त अयोध्या में मौजूद भी हैं. उनकी यादगार परफॉर्मेंस ने रामायण शो को जीवंत कर दिया था. लेकिन ये कैसे बनीं इसके पीछे की कहानी बहुत मजेदार है.
'रामायण' का शूट 550 दिन तक चला था, हर एपिसोड का खर्च 9 लाख रुपये था. रमानंद सागर के लिए 'रामायण' जैसा शो बनाना आसान नहीं था. उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट को बनाने के लिए कोई स्पॉन्सर नहीं मिल रहा था. रमानंद सागर के बेटे ने इसे बनाने के लिए फंड जुटाने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाए थे. लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड 2023 के मुताबिक, पहली बार जब 'रामायण' टीवी पर टेलीकास्ट हुई थी, तो उसे 40 मिलियन लोगों ने देखा था.
कम ही लोग जानते हैं कि रामानंद सागर टीबी के मरीज थे. इलाज के दौरान उन्होंने डायरी लिखना शुरू किया था. उनकी इस डायरी के हर एक कॉलम ने ऐसी बातें लिखी थीं, जिन्होंने लोगों को हैरान कर दिया था. एक इंटरव्यू में रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने इस किस्से का जिक्र किया था.
प्रेम सागर ने बताया- मेरे पिता रामानंद सागर जी को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था. एक दिन उन्हें खांसी आई. फिर देखा तो उनके कपड़े में खून लगा हुआ था. फैमिली डॉक्टर को बुलाया और जांच में पता चला कि उन्हें टीबी है. उस वक्त टीबी का कोई इलाज नहीं था. डॉक्टर ने उन्हें टीबी सेनिटोरियम में भर्ती हो जाने की सलाह दी थी. फिर पिताजी को उनके दादाजी टंगमर्ग स्थित टीबी सेनिटोरियम लेकर गए और वहां उन्हें भर्ती कर दिया. यहां टीबी पेशेंट्स जिंदा जरूर आते थे लेकिन उनकी लाश बाहर जाती थी.'
उन्होंने आगे बताया, 'उस सेनिटोरियम में एक कपल भी था. वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे. एक दिन दोनों ठीक होकर वहां से निकले. उन्हें देखकर पिताजी चकित रह गए. उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि प्यार किसी भी बीमारी को मात दे सकता है. उस दिन से उन्होंने रोज डायरी लिखना शुरू किया- 'मौत के बिस्तर से डायरी टीबी पेशेंट की.'
रामानंद सागर अपने ही सीरियल के एक अहम अंग थे जो बतौर एक्टर भी शो का हिस्सा बने थे. लॉकडाउन के दौरान दूरदर्शन ने उनका एक वीडियो शेयर किया था. वीडियो के अंत में वो देवताओं संग रामानंद सागर भी खड़े नजर आ रहे थे. उन्होंने खुद एक देवता का रूप धारण कर रखा था. बता दें कि रामानंद सागर रामायण के जिस सीन का हिस्सा हैं वो तब का है जब भगवान राम 14 साल का वनवास भोग कर वापस अयोध्या जाते हैं. तब उनके स्वागत में अयोध्या के वासी भक्ति गीत गाते हैं.
प्रेम सागर ने ये भी बताया कि शो में कई वीएफएक्स ऐसे थे, जिनमें तकनीक कम और जुगाड़ ज्यादा था. एक इंटरव्यू में प्रेम सागर का बताया है कि 'अगर सुबह की शूटिंग होती थी, तो हम अगरबत्ती के धुंए के जरिए कोहरा दिखाया करते थे. वहीं अगर रात में शूटिंग होती थी तो रुइ के जरिए बादल बनाए जाते थे.
हम कई बार रात की शूटिंग के समय शीशे पर रुई लगा दिया करते थे. फिर उसे कैमरे में फिट कर शूट करते थे. स्लाइड प्रोजेक्टर में कई ऐसी स्लाइड का इस्तेमाल किया गया, तब ऐसे इफेक्ट देखने को मिले.'
रामायण में कई सीन्स ऐसे थे जिन्हें देख रोंगटे खड़े हो गए. ऐसा ही एक सीन था हिमालय पर भगवान शिव का नृत्य. उस सीन को शूट करने के लिए हमने बैकग्राउंड में एक स्क्रीन का इस्तेमाल किया. फिर प्रोजेक्टर के जरिए छोटे ग्रहों की तस्वीरें दिखाई.
वहीं रामायण में युद्ध के सीन्स भी काफी आकर्षक लगे थे. वो तीरों का एक दूसरे से टकराना, बादलों का गरजना, सभी इफेक्ट्स दर्शकों के मन में आज भी ताजा हैं. उस जमाने में उन सीन्स को शूट करने के लिए SEG 2000 का प्रयोग किया गया था. वो उस समय बाजार में नई-नई आई थी और ज्यादा लोग उसके बारे में जानते भी नहीं थे. स्पेशल इफेक्ट्स के लिए ग्लास मैटिंग का भी सहारा लिया गया था.
रामायण की शूटिंग के समय हर कलाकार ने रात-दिन एक कर दिए थे. खुद रामानंद सागर भी कई बार सुबह 3 बजे तक किसी सीन की स्क्रिप्ट लिख पाते थे. लेकिन जैसे ही वो स्क्रिप्ट पूरी होती थी, सीन की शूटिंग शुरू कर दी जाती. मतलब समय कुछ भी हो, एपिसोड का समय पर प्रसारण होना बहुत जरूरी होता था. शुरू से आखिर तक यही सिलसिला जारी रहा था और करीब 100 आर्टिस्ट ने ये कठिन रूटीन फॉलो किया था.