90 के दशक में पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियों पर आधारित धारावाहिकों का दौर था. जहां एक ओर रामायण और महाभारत टीवी के बेहद लोकप्रिय सीरियल्स रहे, वहीं इस दौर में चंद्रकांता, टीपू सुल्तान, बेताल पच्चीसी जैसे शोज ने भी खूब लोकप्रियता हासिल की. इन पॉपुलर शोज ने एक्टर शहबाज खान को जबरदस्त शोहरत दिलााई. आज 10 मार्च को शहबाज खान का जन्मदिन है. इस खास ओकेजन पर आइए जानें संगीत घराने से ताल्लुक रखने वाले शाहबाज खान कैसे अभिनय की दुनिया से जुड़े.
शाहबाज खान का जन्म मध्य प्रदेश स्थित इंदौर में हुआ था. एक्टर ने बहुत ही कम उम्र में अपने पिता उस्ताद आमिर खान को खो दिया था. एक इंटरव्यू में एक्टर ने बताया था कि जब वे 7-8 साल के थे तब कोलकाता में एक कार हादसे में उनके पिता उस्ताद आमिर खान की मौत हो गई थी. इस हादसे के बाद उनकी मां ने उन्हें संगीत से जुड़ने से मना कर दिया था.
उस्ताद आमिर खान संगीत की दुनिया के नामचीन हस्ती हैं. वे 'इंदौर घराना' के संस्थापक हैं. शाहबाज खान ने इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता के अलावा उनके दादा, मराठा साम्राज्य के मल्हार राव होल्कर के और परदादा, मुगल शासक बहादुर शाह जफर के दरबार में दरबारी संगीतकार (Court Musician) थे. इस इंटरव्यू में शाहबाज ने ये भी बताया कि क्यों उनकी मां ने उन्हें संगीत से जुड़ने से मना कर दिया था.
बड़े पर्दे पर भले ही शाहबाज का जादू नहीं चला लेकिन छोटे पर्दे पर वे सफल रहे. उन्होंने फिर लौट आई नागिन, राम सिया के लव कुश, दास्तान-ए-मोहब्बत सलीम अनारकली, तेनाली राम, संतोषी मां, मीाराणा प्रताप, अफसर बिटिया, महाराज रंजीत सिंह, रावण, नागिन, सात फेरे, आम्रपाली, द्रौपदी, पृथ्वीराज रासो, द ग्रेट मराठा सीरियल्स में यादगार किरदार निभाए हैं.
शाहबाज खान ने बताया कि उन्हें संगीत से लगाव था लेकिन उनकी मां ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया था. उनकी मां का कहना था कि परिवार में उनके पिता-दादा-परदादा जैसे संगीत के महान कलाकार रह चुके हैं. अब जब वे नहीं हैं और शाहबाज संगीत में कुछ खास नहीं कर पाए तो ऐसे में उनके परिवार की इज्जत पर बात आएगी.
खैर, संगीत में ना जाने के बावजूद शाहबाज के अंदर का कलाकार जिंदा रहा और उन्होंने अभिनय क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित की. मुंबई आने के बाद उन्हें काम के ऑफर्स मिलने लगे. 1989 में आए सीरियल टीपू सुल्तान में शाहबाज ने हैदर अली का किरदार निभाया था.
हैदर अली के रूप में दर्शकों के बीच वे बेहद पॉपुलर हुए. यह उनके अब तक के सबसे यादगार किरदार के तौर पर जाना जाता है. इसके अलावा वे चंद्रकांता में कुंवर वीरेंद्र विक्रम और बेताल पच्चीसी में बेताल की भूमिका में नजर आए. इनमें भी शाहबाज ने अपने कैरेक्टर्स में जान फूंक दी.
फिल्मों की बात करें तो 1991 में नाचनेवाले गानेवाले फिल्म से उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू किया. मेरी आन, धरतीपुत्र, जय विक्रांत, जिद्दी, किला, मेजर साब, मेहंदी, इंटरनेशनल खिलाड़ी, हिंदुस्तान की कसम, अर्जुन पंडित, बादल, द हीरो, जाल द ट्रैप, किस्मत, मस्ती, टेंगो चार्ली, वीर, एजेंट विनोद समेत कई फिल्मों में काम किया. हालांकि फिल्मों में उन्होंने सपोर्टिंग किरदार निभाए और ज्यादा पहचान नहीं मिल पाई.