विवेक पिछले दो साल से अपनी ग्रूमिंग पर लगे हैं ताकि खुद को फिल्म के लिए तैयार कर सकें. आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत पर विवेक बताते हैं, फिल्म तो मैं हमेशा से यही करना चाहता था. आज नहीं, तो कल प्लान यही है कि खुद का फ्यूचर वहां देखता हूं.
विवेक ने कहा कि मैं फिलहाल अपने क्राफ्ट पर काम कर रहा हूं. डिक्शन, स्पीच और बॉडी लैंग्वेज पर आदि को परफेक्ट करने की कोशिश में लगा हूं. रही बात इमोशन की, तो यह एक्सपीरियंस के साथ आता है. मैंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. खुशी, प्यार, गुस्सा, दिल टूटना, रिजेक्ट होना हर तरह के इमोशन से गुजर चुका हूं. कोशिश यही है कि इन्हें अपनी एक्टिंग में उतार सकूं.
टीवी की बात करें, तो यहां लाउड एक्टिंग पर ज्यादा तवज्जो दी जाती है क्योंकि यहां सटल एक्टिंग काम नहीं करती है. हालांकि यह जनता की ही मांग होती है, इसपर एक्टर का कंट्रोल होता नहीं है. हम एक्टर यह सोच कर सेट नहीं जाते कि आज तो मैं लाइट एक्स्प्रेशन दूंगा. ऐसे में लगातार काम करते रहने से एक्टर उससे प्रभावित भी हो जाता है. एक्टर को क्रिएटिव लिबर्टी नहीं मिल पाती है. इन्हीं कारणों से मैंने ब्रेक लेकर खुद पर काम करने का निर्णय लिया है.
पिछले एक साल से झेल रहा हूं रिजेक्शन
जब से फिल्मों के लिए लक आजमाना शुरू किया है, तब से बहुत सी रियलिटी का सामना कर रहा हूं. लोग यहां टीवी एक्टर के नाम सुनते ही रिजेक्ट कर देते हैं. कितने ऑडिशन दिए होंगे लेकिन बात टीवी एक्टर पर आकर ही खत्म हो जाती है. कई बार प्रोडक्शन से सुनने को मिलता है कि तुमने ऑडिशन तो अच्छा दिया है लेकिन ऑडियंश के लिए तुम्हारा फेस फ्रेश नहीं है. टीवी पर जनता तुम्हें फ्री में देखती है, तो सिल्वर स्क्रीन पर पैसे लगाकर तुम्हें क्यों देखेगी. बहुत गुस्सा आता है, जब इन सब वजहों से रिजेक्ट किया जाता हूं.
दो साल से घर पर खाली बैठेे विवेक
मैंने तो टीवी एक्टर के टैग को खत्म करने के लिए सारे प्रोजेक्ट छोड़ दिए. पिछले दो साल से घर पर खाली बैठा हूं. मैं तो यही कहूंगा कि प्रॉडक्शन व मार्केटिंग वालों को यह सोचना चाहिए कि एक टीवी एक्टर अपने फैंस को ऑडियंस के रूप में थिएटर पर खींचकर ला सकता है. उसकी फैन फॉलोइंग इतनी ज्यादा होती है कि उसका फायदा फिल्मों को भी मिल सकता है. खैर, मैं भी हार नहीं मानने वाला हूं और अपनी मेहनत से एक दिन सपनों को जरूर पूरा करूंगा.