'दारा सिंह' हिंदी सिनेमा का वो नाम जिसे चाहकर भी लोग भूल नहीं पाएंगे. इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले दारा सिंह रेसलिंग की दुनिया का बड़ा नाम थे. दारा सिंह ने दुनियाभर के कई टूर्नामेंट और चैंपियनशिप जीत कर देश का नाम रोशन किया. दारा सिंह वो हस्ती थे जिनके बारे में एक नहीं किस्से और कहानियां हैं. पर आज बात करेंगे उस समय कि जब उन्होंने देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलने की 3 वजहें बताई थीं.
प्रधानमंत्री से मिलने के लिये दी ये वजहें
1954 में दारा सिंह ने रुस्तम-ए-हिंद टूर्नामेंट में बड़ी जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने 1968 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप भी जीती. यही वो साल था जब दारा सिंह को यूएस की नागरिकता भी ऑफर की थी. उन्हें विदेश की चकाचौंध से अपने देश से प्यार था. इसलिये दारा सिंह ने यूएस की जगह अपने देश में रहने का फैसला किया. इसी साल भारत लौटते ही दारा सिंह ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिलने के लिये पत्र लिखा.
दिलचस्प बात ये है कि दारा ने ना सिर्फ प्रधानमंत्री से मिलने का अनुरोध किया, बल्कि उनसे मिलने के तीन बड़े कारण भी दिये. सीमा सोनिक अलीमचंद की पुस्तक 'दीदारा उर्फ दारा सिंह' में इन तीन वजहों का जिक्र किया गया है. दारा सिंह ने पहली वजह लिखी कि वो जवाहर लाल नेहरू से हाथ मिलाना चाहते थे. ताकि लोगों को बता सकें कि वो जवाहर लाल नेहरू से मिले हैं.
दूसरी वजह ये थी कि दारा सिंह प्रधानमंत्री नेहरू को कॉमन वेल्थ चैंपियनशिप के लिये इनवाइट करना चाहते थे. तीसरा और आखिरी कारण था कि उनके दोस्त और कुश्ती प्रमोटर एम गोगी का सपना था कि उन्हें कभी प्रधानमंत्री से मिलने का मौका मिले.
प्रधानमंत्री से हुई ये बात
प्रधानमंत्री कार्यलय की तरफ से दारा सिंह के खत का जवाब आया. उन्हें कॉल करके बताया गया कि पीएम के साथ उनकी अपॉइंटमेंट फिक्स हो गई है. नेहरू जी से मिलते ही दारा सिंह ने उन्हें अपनी पहलवानी का परिचय दिया. इसके अलावा उन्होंने अपने विदेशी दौरों का भी जिक्र किया. दारा सिंह से मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने देश के पहलवानों के हित में संघ शुरू करने का फैसला भी लिया.
पहलवानी में अपना दमखम दिखाने के बाद दारा सिंह ने 'रामायण' में हनुमान का रोल अदा किया. इस रोल में उन्हें इतनी लोकप्रियता मिली, लोग उन्हें असली का हनुमान समझकर पूजने लगे. दारा सिंह ने पहलवानी और एक्टिंग दोनों में ही अपनी गहरी छाप छोड़ी, जो उन्हें कभी भुलाने नहीं देगी.