टीवी के मोस्ट पॉपुलर और स्टाइलिश कपल देबिना बनर्जी (Debina Bonnerjee) और गुरमीत चौधरी (Gurmeet Choudhary) के घर जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है. पिछले महीने ही कपल ने प्रेग्नेंसी को लेकर खुलासा किया था. साथ ही बताया था कि शादी के 11 साल बाद दोनों पेरेंट्स बनने वाले हैं. उनकी इस खुशी का ठिकाना नहीं है. बेबी बंप फ्लॉन्ट करते हुए भी देबिना बनर्जी को अक्सर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते देखा जाता है. जबसे देबिना बनर्जी ने प्रेग्नेंसी की घोषणा की है, वह यूट्यूब पर अपनी इस जर्नी को फैन्स संग शेयर कर रही हैं.
देबिना बनर्जी ने बयां किया किस्सा
कुछ समय पहले देबिना बनर्जी ने बताया था कि प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें किस तरह का खाना खाने की क्रेविंग्स हुई. इसके बाद एसिडिटी की समस्या के कारण उन्होंने डीटॉक्स प्लान फॉलो किया. अब देबिना बनर्जी ने बताया है कि कन्सीव करने के लिए उनपर सोसायटी का बहुत प्रेशर था, लेकिन कोई उनकी मेडिकल समस्याओं के बारे में नहीं जानता था. कोई यह नहीं जानता था कि वह आखिर किन परेशानियों से गुजर रही हैं. देबिना बनर्जी ने बताया कि उनपर सोसायटी का लगातार प्रेशर बना हुआ था. उनका कहना रहा कि लोग यह क्यों नहीं समझते हैं कि जब आप किसी पर प्रेशर डालते हैं तो वह उन सब चीजों के अंडर काम नहीं कर पाता है. केवल क्रिटिसिज्म ही झेलता रहता है. देबिना बनर्जी ने दर्शकों को सलाह दी कि अगर कोई भी आप पर किसी भी चीज का प्रेशर डालने की कोशिश करे तो उसे ऐसा मत करने दो.
देबिना बनर्जी ने अपने उस मुश्किल समय को याद किया, जब वह कन्सीव करने के लिए हर कोशिश कर रही थीं. गुरमीत और वह डॉक्टर्स के पास जाते थे. गायनेकॉल्जिस्ट बदले, आईवीएफ के जरिए कन्सीव करने की कोशिश की. यह जानने की कोशिश की आखिर वह कन्सीव क्यों नहीं कर पा रही हैं. तब जाकर उन्हें पता चला कि देबिना बनर्जी एंडोमिट्रियॉसिस की समस्या से परेशान हैं. उन्होंने एक्यूपंक्चर जैसी थेरेपी ली. इसमें आपकी बॉडी से सारे टॉक्सिन्स को बाहर निकाला जाता है.
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एंडोमिट्रियॉसिस एक तरह की कंडीशन होती है. इसमें ब्लीडिंग, यूट्रस की वॉल के अंदर होती है. इसकी वजह से कन्सीव करने में भी दिक्कतें होती हैं. देबिना बनर्जी को यह समस्या खत्म करनी थी. ऐसे में सबसे पहले उन्होंने एलोपेथिक दवाएं लीं. इसके बाद आयुर्वेद का रास्ता अपनाया. एक्यूपंक्चर में एक सुई काम में डाली जाती है, इसे चाइनीज फर्टिलिटी अप्रोच कहा जाता है. देबिना बनर्जी के लिए यह सब एक रूटीन बन चुका था. सुबह 10 बजे डॉक्टर के पास वह ट्रीटमेंट के लिए पहुंच जाती थीं. तब जाकर उन्होंने कन्सीव किया. देबिना बनर्जी के लिए यह जर्नी बिल्कुल भी आसान नहीं रही. उन्होंने ग्रुप्स का सपोर्ट लिया, जिससे वह सोसायटी के प्रेशर पर ध्यान न दे सकें और इससे बाहर आ सकें.