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Indias Got Talent 9: इंडियाज गॉट टैलेंट विनर बने मनुराज, कभी बांसुरी खरीदने को नहीं थे पैसे

इस बार Indias Got Talent 9 की ट्रॉफी बीटबॉक्सर दिव्यांश कचोलिया और बांसुरीवादक मनुराज सिंह राजपूत ने जीती. दोनों की जुगलबंदी को खूब पसंद किया गया. हालिया इंटरव्यू में दिव्यांश और मनुराज ने अपने दिल की बात कही और अपने स्ट्रगल्स के बारे में बताया.

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दिव्यांश और मनुराज
दिव्यांश और मनुराज
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इंडियाज गॉट टैलेंट के विनर ने की दिल की बात
  • कभी गिव अप ना कर के हासिल किया मुकाम
  • बीटबॉक्सर और बांसुरीवादक की जबरदस्त जुगलबंदी

टीवी के पुराने और पॉपुलर रियलिटी शोज में से एक इंडियाज गॉट टैलेंट (India’s Got Talent) का फिनाले हाल ही में हुआ. इस मौके पर कंटेस्टेंट्स और जजेस ने शानदार परफॉर्मेंस कर फैंस का फुल एंटरटेनमेंट किया. शो में हीरोपंती 2 की कास्ट भी पहुंची. टाइगर श्रॉफ (Tiger Shroff) फिनाले में तारा सुतारिया (Tara Sutaria) संग नजर आए. इस बार की ट्रॉफी बीटबॉक्सर दिव्यांश कचोलिया (Divyansh Kacholia) और बांसुरीवादक मनुराज सिंह राजपूत (Manuraj Singh Rajput) ने जीती. दोनों की जुगलबंदी को खूब पसंद किया गया. हालिया इंटरव्यू में दिव्यांश और मनुराज ने अपने दिल की बात कही और अपने स्ट्रगल्स के बारे में बताया.

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मकसद था अपने संगीत से लोगों को रूबरू करना

दिव्यांश ने कहा- ''हम दोनों एक दूसरे से काफी अलग हैं. कई सारे ऐसे ऑकेजन्स आए जब मनु भैया(मनुराज) ने मेरे साथ काफी एडजस्ट करने की कोशिश की. लेकिन एक वो चीज जो हम दोनों के बीच एकदम कॉमन है वो है म्यूजिक को लेकर पैशन. जब हमलोग इस शो में आए तो हमारा मकसद इसे जीतना नहीं था. हमारा मकसद था लोगों तक पहुंचना और उन्हें उस म्यूजिक से फैमिलियर कराना जो हम बनाते हैं. एक बीटबॉक्सिंग और एक क्लासिकल म्यूजिक इंस्ट्रुमेंट की जुगलबंदी.'' 

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फिनाले से पहले नहीं आई नींद

मनुराज ने कहा- ''फिनाले एपिसोड से पहले कई दिनों तक हम सो नहीं पाए. हम अपना बेस्ट देना चाहते थे और हमारी एक्साइटमेंट का लेवल बहुत अलग था. शो जीतने के बाद हमें जैसा प्यार और सम्मान मिल रहा है उसके लिए हम तहे दिल से आभारी हैं. जब मनुराज से पूछा गया कि क्या म्यूजिक एक करियर ऑप्शन हो सकता है तो इसपर भी उन्होंने रिएक्ट किया और अपनी अब तक की जर्नी के बारे में बातें की.''

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इंडियाज गॉट टैलेंट विनर ने आगे कहा- ''संगीत के प्रति मेरी दिलचस्पी बहुत बचपन से थी. उन दिनों से जब मैं अपनी मां के साथ मंदिरों में जाता था और हारमोनियम बजाता था. लेकिन जब उन्होंने बोला कि वे संगीत में करियर बनाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए सपोर्ट नहीं मिला. जैसा कि सभी परिवारों में कहा जाता कि- डॉक्टर बनो, इंजीनियर बनो या पहले कुछ बन जाओ और उसके साथ म्यूजिक करते रहो. यहां तक कि जब मैं मुंबई आया और लोगों को बताया कि मैं एक बांसुरीवादक हूं तो लोगों ने पूछा- 'पर करते क्या हो?' मुझे घरवालों द्वारा जबरदस्ती इंजीनियरिंग कॉलेज में डाल दिया गया लेकिन मैंने संगीत सीखना कभी नहीं छोड़ा.''

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ओवरटाइम कर के खरीदी पहली बांसुरी

''मुझे याद है कि मैं हर महीने 1000-1200 रुपये कमाता था और मुझे अपनी पहली बांसुरी खरीदनी थी जो उस समय करीब 4000 रुपये की थी. मुझे बांसुरी खरीदने के लिए एक्स्ट्रा जॉब भी करनी पड़ी. वहीं दिव्यांश ने इस बारे में कहा- बीटबॉक्सिंग किसी भी फैमिली के लिए सीरियस करियर ऑप्शन नहीं लगता. ये बहुत अलग है. लेकिन मैंने कभी गिवअप नहीं किया. मैंने अपनी स्किल्स पर काफी वर्क किया और अभी भी करता हूं. अगर हमारी कहानी किसी के लिए प्रेरणा बन जाती है तो इससे बड़ी अचीवमेंट हमारे लिए भला क्या होगी.''

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