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KBC के मंच पर आएगा करगिल युद्ध का वो हीरो, जिसे डॉक्टर ने कहा था मर गया...

पाकिस्तान द्वारा किये गये हमले में घायल मेजर को फौरन अखनूर के आर्मी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. पर वहां उन्हें डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. लेकिन कहते हैं कि जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई. लाख कोशिशों के बावजूद कोई मेजर डीपी सिंह का हौसला नहीं तोड़ सका. 7 अगस्त को केबीसी के मंच पर आजादी के गर्व का महापर्व सेलिब्रेट किया जायेगा. खास मौके पर आमिर खान, मैरी कॉम और मेजर डीपी सिंह उनके संघर्ष की कहानी शेयर करते देखे जायेंगे.

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रिटायर्ड मेजर डीपी सिंह, अमिताभ सिंह
रिटायर्ड मेजर डीपी सिंह, अमिताभ सिंह

Kaun Banega Crorepati का नया अध्याय शुरू होने वाला है. 7 अगस्त को केबीसी के मंच पर आजादी के गर्व का महापर्व सेलिब्रेट किया जायेगा. खास मौके पर आमिर खान, मैरी कॉम और मेजर डीपी सिंह उनके संघर्ष की कहानी शेयर करते देखे जायेंगे. मेजर डीपी सिंह देश के वो जबाज सिपाही हैं, जो मौत को मात देकर जिंदा लौटे थे. 

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KBC के मंच पर जबांज मेजर डीपी सिंह
26 जुलाई 1999. वो दिन जब कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी से पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिये बेबस कर दिया था. कारगिल युद्ध करीब दो महीने तक चला था. इस युद्ध में हमने कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन सौरभ कालिया, कैप्टन मनोज पांडे जैसे कई बहादुर सिपाहियों को खो दिया. वहीं दूसरी ओर युद्ध के कुछ ऐसे नायक भी हैं, जो हमारे साथ हैं और उनमें पहले जैसा ही जुनून बरकरार है. 

इन्हीं बहादुर नायकों में से एक मेजर (रि.) डीपी सिंह भी हैं, जिनकी बहादुरी के आगे सिर्फ दुश्मन ही नहीं ट‍िक पाया. कहा जाता है कि जम्मू और कश्मीर के अखनूर सेक्टर में बॉर्डर पर बनी एक पोस्ट का जिम्मा मेजर डीपी सिंह संभाले हुए थे. पाकिस्तानी पोस्ट उनकी पोस्ट से करीब 80 मीटर दूर थी. 15 जुलाई को दुश्मन देश की तरफ से फायरिंग शुरू हुई. मेजर अपनी बंकर के बाहर मोर्चा संभाले हुए थे. किस्मत से मेजर डीपी सिंह पहले मोर्टार से बच निकले, लेकिन पाकिस्तान की ओर से दागे गये दूसरे मोर्टार में वो बुरी तरह घायल हो गये. 

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डॉक्टर मृत कर दिया था घोषित 
पाकिस्तान द्वारा किये गये हमले में घायल मेजर को फौरन अखनूर के आर्मी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. पर वहां उन्हें डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. लेकिन कहते हैं कि 'जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई.' हमले में मेजर डीपी के शरीर की बुरी हालत हो गई थी. जान बचाने के लिये उनका एक पैर भी काटा गया. काफी दर्द सहने के बावजूद मेजर ने हिम्मत नहीं हारी. तीन दिन बाद उन्हीं मेजर को होश आया, जिन्हें डॉक्टर ने पहले मरा हुआ बता दिया था. ये चमत्कार हर किसी के लिये एक बड़ा शॉक था. एक इंटरव्यू के दौरान मेजर ने इसे अपना पुनर्जन्म बताया है. 

रिटायर्ड मेजर के अंदर आज भी वही जोश कायम है, जो कल था. वो कहते हैं कि मैंने ठान लिया था कि एक पैर पर जिंदा रहकर दिखाउंगा और मैंने कर दिखाया. यही नहीं, एक पैर के सहारे देश के इस सिपाही ने 2009 में पहली बार मैराथन में हिस्सा लिया. इसके बाद 21 किमी हॉफ मैराथन दौड़ कर इतिहास भी रचा. केबीसी के प्रोमो में डीपी सिंह बताते हुए दिख रहे हैं कि जब वो जख्मी हुए, तो उन्हें हर जाति-धर्म के लोगों ने खून दिया. इसलिये उनकी रगों में देश का खून दौड़ रहा है. डीपी सिंह अपनी इस सफलता का श्रेय सेना के अनुसाशन और ट्रेनिंग को देते हैं.

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केबीसी के मंच पर डीपी सिंह ने बताया कि आज भी मेरे शरीर के अंदर 73 छर्रे मौजूद है. उनकी बहादुरी के किस्से सुनकर खुद अमिताभ बच्चन ने तालियों के साथ सलाम किया. देश के इस बहादुर सिपाही के हौसले को हमारा सलाम!

 


 

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