'इस एहसास को बयां नहीं किया जा सकता है. मैंने इतना लंबा सफर तय किया है. इस शो के दौरान मैंने यह भी कहा था कि मैं कछुए की चाल चलकर यहां पहुंची हूं. इस सफर को तय करने में बेहद बहुत सी मुश्किलें, तकलीफें रहीं हैं लेकिन जो अचीव किया है, अब सब चीजें छोटी लग रही हैं.' ये शब्द हैं इस सीजन की पहली करोड़पति बनीं कविता चावला के, महाराष्ट्र के कोलहापुर की हाउसवाइफ कविता हमसे अपनी इस जीत और जर्नी पर बातचीत करती हैं..
20 रुपये से करोड़ रुपये का सफर...
अपनी जर्नी शेयर करते हुए कविता बताती हैं, मेरे मायके की कंडीशन बहुत अच्छी नहीं थी. हम चार भाई बहन हैं, मां सिलाई का काम किया करती थी. उसी की कमाई से हम भाई-बहनों की परवरिश हुई है. उनकी मदद करने के लिए मैंने भी सिलाई का काम शुरू कर दिया था. मैं क्लास 12वीं के बाद से ही मां के साथ इस काम में लग जाया करती थी. मैं आठ घंटे सिलाई करती थी, जिसके मुझे 20 रुपये मिलते थे. बीस रुपये से तीन लाख बीस हजार का जो सफर रहा है, उसमें मुझे तीस साल लग गए हैं. वो मेरी पहली कमाई थी, जो केबीसी के प्लेटफॉर्म से मिली थी. अब तो इस सीजन में मैंने एक करोड़ जीत लिया है.
2000 में देखा था सपना..
मैं 2000 से ही इस शो में हिस्सा बनने की तैयारी कर रही थी. जब मैंने पहली बार देखा, तो निर्णय कर लिया था कि इसमें एक दिन जो जाना है. उस वक्त जहां से कुछ भी मिल जाता, मैं पढ़ने लगती थी. न्यूजपेपर की कटिंग रखना, बच्चे को पढ़ाते-पढ़ाते खुद भी पढ़ना. आप यकीन मानें, मैंने 12वीं की है लेकिन मैं 22 साल तक पढ़ाई करती रही वो भी बिना किसी डिग्री के. इस दौरान मैंने बहुत कुछ बलिदान दिया है, खासकर नींद की कुर्बानी, लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था. मेरी दुनिया केवल घर और केबीसी की तैयारी तक ही सीमित होकर रह गई थी. लोगों को हमेशा बहाने बता कर पढ़ाई करती थी.
बेटे की स्टडी पर करेंगी खर्च
परिवार के रिएक्शन पर कविता कहती हैं, मैंने केवल अपने पति को कॉल कर अपने जीतने की जानकारी दी थी. मेरे सास-ससुर या परिवार को मैं सरप्राइज देना चाहती थी. मैं चाहती थी कि वो शो देखकर शॉक्ड हो जाएं लेकिन शो का प्रोमो जब आया, तो लोगों को भनक लग गई फिर मैंने उन्हें जीतने वाली बात बताई. वो बहुत खुश हैं, उन्होंने मुझे मेहनत करते हुए देखा था, वो कहते हैं कि चलो तुम्हें मेहनत का फल मिल गया. वहीं जीते हुए पैसे को लेकर कविता कहती हैं, मेरा बेटा 22 साल का है. उसकी पढ़ाई के लिए हमने काफी सारा लोन लिया था. उसे सबसे पहले क्लीयर करेंगे. इसके बाद उसके यूके की पढ़ाई के लिए जितने पैसे लगने हैं, उसके लिए पैसे बचाए हैं. छोटे शहरों में रहने वालीं मेरी जैसी हाउसवाइफ्स अक्सर अपने बच्चों की परवरिश और परिवार के बीच उलझ कर रह जाती हैं. कह लें, हमारे पास बड़े शहरों की तरह कल्चर ही नहीं कि हम बाहर जाकर काम करें. खासकर हमारे जनरेशन की हाउसवाइफ्स तो ये सपना देखना तक अफॉर्ड नहीं कर सकती थीं. इसलिए मैंने कभी काम करने का सोचा ही नहीं. बस सोचती थी कि कैसे भी कर केबीसी में जाकर अपने परिवार के लिए कुछ करूं.
मुझे रोते देखकर अमिताभ बोलें निराश न हों...
जब पहली बार टॉप 10 में फास्टेस्ट फिंगर में पहुंची, तो बिग बी को इतना करीब पाकर भी हॉट सीट में नहीं बैठ पाई थी. मैं बहुत रो रही थी, तो खुद महानायक आकर कहने लगे कि निराश मत होईए. उनकी बातों से मुझे हिम्मत मिली थी. फिर मैं दोबारा तैयारी में लग गई थी. जब दोबारा मिली कि तो मुझे उनसे डर बिलकुल भी नहीं लगा. वो इतनी बड़ी हस्ती होने के बावजूद आपको बहुत सहज करा देते हैं.