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आंखों की रोशनी गंवाई, नहीं हारे हौसले, ऐसे हिमानी बनीं KBC 13 की पहली करोड़पति

केबीसी 13 सीजन को अपना पहला करोड़पति विनर मिल गया है. हिमानी बुंदेला इस सीजन की पहली करोड़पति विजेता हैं. दृष्टिहीन हिमानी अपनी जीत और शो के दौरान अनुभवों को शेयर किया.

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हिमानी बुंदेला
हिमानी बुंदेला

"मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता क्योंकि उड़ान हौसलों से होती है." ये शब्द हैं केबीसी के इस सीजन की पहली करोड़पति विनर हिमानी बुंदेला के. 

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25 साल की हिमानी की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. दरअसल हिमानी कुछ साल पहले ही एक भयंकर एक्सीडेंट में अपनी आंखे गवां चुकी हैं. हिमानी के जीवन में छाए इस अंधकार से हिमानी को वाकई में कोई फर्क नहीं पड़ता है. उन्होंने इसे बहुत ही पॉजिटिवली लिया है और वे अपने जीवन में आगे बढ़ चुकी हैं. 

बता दें, हिमानी का जोश जज्बा उन्हें बाकियों से कहीं ज्यादा अलग बनाता है. यही वजह है केबीसी के हॉट सीट पर भी आप हिमानी को हंसता खिलखिलाता ही पाएंगे. मीडिया से इंटरेक्शन के दौरान हिमानी ने बताया कि उन्हें बेहद खुशी है कि वे 1 करोड़ की राशि जीत चुकी हैं लेकिन क्या वे सात करोड़ भी जीत पाएंगी, इसके लिए तो आपको शो का ही इंतजार करना पड़ेगा. 
 

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14 साल की उम्र से कोशिश 

हिमानी बताती हैं, मैं बचपन से ही केबीसी की बड़ी फैन रही हूं. घर पर भी अमिताभ बच्चन बनकर इनऐक्ट किया करती थी और परिवार वालों से सवाल पूछा करती थीं. इसके बाद मैंने केबीसी में हिस्सा लेने की कोशिश 14 साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी. पहले मेसेज किया करती थी लेकिन मेसेज डिलीवर ही नहीं होता था. मुझे समझ नहीं आता था कि वाकई में मेरा जवाब वहां तक पहुंचा है या नहीं. हालांकि जब से सोनी लिव आया है, तब हमें रिस्पॉन्ड के मेसेज आने लगे हैं. अब जाकर तसल्ली हुई कि चलो मेसेज वहां तक पहुंच तो रहा है. 

परिवार व दोस्तों को जीत का क्रेडिट

हिमानी अपनी जीत का क्रेडिट परिवार वालों को देते हुए कहती हैं, मैं अपनी जीत का क्रेडित मेहनत और इच्छा शक्ति से ज्यादा अपने फैमिली फैमिली, फ्रेंड्स, प्रोफेशर, कलिग्स को क्रेडिट जाता है. इसके अलावा मेरी दीदी हमेशा से सपोर्ट सिस्टम रही हैं. उन्होंने हमेशा मुझे इनकरेज किया है. 

आने वाले प्रतिभागियों को दी यह सलाह

हिमानी आने वाले प्रतिभागियों को सलाह देते हुए कहती हैं,  नर्वस होने की जरूरत नहीं है. जब वहां बैठी थी, मेरे दिमाग में एक ही चीज चल रही थी. मैं यहां अपने लिए नहीं आई हूं. फैमिली और उन लोगों के लिए यहां हूं, जिनके लिए मैं कुछ करना चाहती हूं. इसलिए डर कम था और खुशी ज्यादा थी. अगर आपको भी डर लगे, तो यही सोचें कि किस लिए जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं. यह सोचने के बाद सारा नर्वसनेस काफूर हो जाएगा. 

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