राकेश बापट ने भले बिग बॉस ओटीटी हाउस में ट्रॉफी न जीती हो, लेकिन उनकी दावेदारी काफी स्ट्रॉन्ग रही. राकेश भीड़ में सबसे अलग भी नजर आए, एक और जहां कंटेस्टेंट चिल्ला-चिल्लाकर अपनी बातें रखते थें, वहीं राकेश एकलौते ऐसे कंटेस्टेंट थे, जिन्होंने बड़े ही संयम के साथ गेम को खेला था. हालांकि राकेश को अपने इस नेचर की वजह से कई तरह की ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा था.
मुझे लगा था कि मैं कॉन्टेंट नहीं दे पाऊंगा
आजतक डॉट इन से बातचीत के दौरान राकेश ने बिग बॉस के एक्सीपिरियंस और ट्रोलिंग पर दिल खोलकर अपनी राय रखी है. राकेश बताते हैं, बिग बॉस घर से बाहर निकलकर बहुत ही अलग महसूस कर रहा हूं. सोचा नहीं था कि कभी बिग बॉस जाऊंगा. जब मुझे मेकर्स ने अप्रोच किया था, तो मेरा तीन सीधा सा सवाल था उनसे, कि मेरे जैसे इंसान को क्यों चुना. मैं तो कॉन्टेंट दे पाऊंगा या नहीं, मैं निजी जिंदगी में बेहद ही शांत स्वाभाव का रहा हूं. वहां घर पर आपको अपना ओपिनियन चिल्लाकर देना पड़ता है. तभी आप जीत सकते हैं.
बिग बॉस से अलग है मेरा मिजाज
बिग बॉस की मिजाज से बिलकुल अलग हूं. मुझे तो लगा कि मैं सबसे बोरिंग कंटेस्टेंट रहूंगा वहां पर. हो सकता था कि उन्हें मेरे तरह का ही कोई चाहिए होगा. वैसे एक्सपीरियंस बहुत ही अलग रहा मेरा. मैं वहां अपने उसूलों पर डटा रहा. मैं वहां दिखावा नहीं करना चाहता था. मैं अपने गेम को लेकर क्लीयर था, मैं वहां एक्सपीरियंस के लिए गया था. मेरे लिए ट्रॉफी जीतना मायने नहीं रखता था. मैं जैसा हूं, पूरी गेम में वैसा ही नजर आया था. जब मैं बाहर आया, तो मां ने गले लगते हुए बस यही कहा कि तुमने अच्छा खेला और मुझे गर्व है कि मैंने तुम्हें अच्छे संस्कार दिए हैं. मेरे लिए यही सबसे बड़ी जीत थी.
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उनको चिल्लाता देख लगता था मिस फिट हूं
मुझे शक था कि मैं वहां कैसे पेश आऊंगा. क्योंकि मैं अपने विचारों को इनके बीच कैसे रख पाऊंगा. मैं यकीन नहीं रखता कि लोगों के बीच गुस्से और चिल्लाते हुए अपनी बात कहूं. ऐसे में कई बार लगता था कि इनके बीच मैं तो मिस फिट हूं.
आप हर किसी को खुश नहीं कर सकते हैं
मुझे सोशल मीडिया पर काफी कुछ कहा गया, लोगों ने डरपोक, जोरू का गुलाम जैसी कई चीजें कही हैं. मैं स्टैंड नहीं ले सकता या फिर अपनी बातों को स्ट्रॉन्गली नहीं रख सकता. बहुत से एडजेक्टिव मेरे लिए इस्तेमाल किए गए. मैं बस यही कहना चाहूंगा कि मैंने अपनी पुरजोर कोशिश की है. मैं असल जिंदगी में किसी को ओपिनियन नहीं देता, क्योंकि मैं खुद कभी परफेक्ट मानता नहीं. वहां ये सब बहुत कुछ करना पड़ता था. किसी एक को सिलेक्ट करना कि किसे नॉमिनेट करना है और किसे नहीं, ये सब रिस्क भरा होता था. देखें, आप कुछ भी कर लें कोई एक आदमी तो नाखुश होने वाला ही है. तो कई तरह के कमेंट्स मिले हैं.
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केयरिंग हूं, न कि जोरू का गुलाम
हां, जोरू का गुलाम वाले कमेंट पर यही कहना चाहूंगा कि मैं केयरिंग हूं, न कि जोरू का गुलाम टाइप वाला इंसान हूं. मैं हमेशा अपने पार्टनर की रिस्पेक्ट करता हूं. उनके साथ शालीनता से पेश आता हूं. अगर उसके लिए मुझे थोड़ा झुकना भी पड़ जाए, तो इससे कोई गुरेज नहीं है. मैं अपनी खुशी से ज्यादा सामने वाली की खुशी को महत्व देता हूं. बुरा थोड़ा लगा, लेकिन मैंने उन कमेंट्स को सीरियसली नहीं लिया क्योंकि मुझे पता है कि मैं किस तरह का इंसान हूं. कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना...
परिवार वाले टीवी तोड़ना चाहते थे
जब एक वीकेंड के वार के दौरान करण जौहर ने मुझे सेक्सिस्ट कहा था. हालांकि मेरा मतलब वो बिलकुल भी नहीं था, चीजें गलत तरह से समझी गईं. उस एपीसोड में मैं काफी उदास हो गया था. मेरे परिवार वाले मुझे टीवी पर देख रहे थे, तो वे बहुत प्रभावित हुए. वे तो उठकर टीवी तोड़ना चाहते थे. दरअसल उन्हें पता है कि मैं ऐसा नहीं हूं. मेरी परवरिश दो स्ट्रॉन्ग महिलाओं के बीच हुई है. मैं खुद ही एक ऐसे एनजीओ से जुड़ा हूं, जहां विमेन इंपॉवरमेंट को हम प्रोत्साहित करते हैं. मेरे पैरेंट्स को बहुत गलत लगा, वो सोच रहे थे कि क्या हो रहा है मेरे बेटे के साथ, उसे बाहर निकालो. मेरे घर वाले तो चैनल से बात करने की सोच रहे थे कि कैसे भी कर वो मुझे बाहर ले लाएं.