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महाभारत के युधिष्ठिर बोले- सतीश कौल का निधन हम सब के लिए एक सबक

महाभारत के युधिष्ठिर अभिनेता गजेंद्र चौहान ने कहा कि सीरियल महाभारत में इंद्र का किरदार निभाने वाले 73 वर्षीय अभिनेता सतीश कौल का निधन हम सब के लिए एक सबक है.

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सतीश कौल और गजेंद्र चौहान
सतीश कौल और गजेंद्र चौहान

महाभारत के युधिष्ठिर अभिनेता गजेंद्र चौहान ने कहा कि सीरियल महाभारत में इंद्र का किरदार निभाने वाले 73 वर्षीय अभिनेता सतीश कौल का निधन हम सब के लिए एक सबक है. सतीश कौल के साथ महाभारत में काम कर चुके अभिनेता गजेंद्र चौहान ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि सतीश कौल बेहद ही सरल स्वभाव के इंसान थे हमने साथ में जरूर काम किया, लेकिन पिछले कई सालों से वो गुमनामी में जी रहे थे.

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उन्होंने कहा कि हमें कभी-कभी उनके साई बाबा के मंदिर शिर्डी में या कहीं पटियाला के किसी अस्पताल में छपी उनकी तस्वीरों और खबरों के माध्यम से उनके बारे में पता चलता था. वह पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टर थे, 300 से ज्यादा फिल्में कर चुके थे और जाने-माने प्रोडक्शन और कलाकारों के साथ काम कर चुके थे. उनका कोविड की बीमारी के चलते चला जाना हम सब के लिए एक बड़ा लॉस है.

सतीश कौल के निधन से लेना चाहिए सबक
उन्होंने कहा कि सतीश जी के इस तरह चले जाने के बाद मैं यही कहूंगा की हर एक इंसान को चाहें वह किसी भी काम या व्यवसाय से जुड़ा हो उससे अपना अच्छा समय भविष्य के लिए बचा के रखना चाहिए. जो एक दिन काम जरूर आता है. उनके जीवन की पहली पारी तो बहुत शानदार रही पैसे और ग्लैमर की कोई कमी नहीं रही, लेकिन उम्र के दूसरे पड़ाव की लड़ाई वह हार गए. किसी ने अंतिम समय में उनका साथ नहीं दिया और सतीश जी खुद भी बहुत स्वाभिमानी इंसान थे.

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किसी से मदद नहीं मांगी, अकेले और गुमनामी में जीते जीते जिन्दगी की लड़ाई हार गए. इसलिए मैं कहता हूं की बुरे वक्त के लिए हमें अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सेविंग के लिए बचा कर रखना चाहिए जो ऐसे वक्त में काम आ सके. आर्थिक और पारिवारिक अभाव इंसान को खोखला कर देता है. सतीश जी का निधन हम सब के लिए एक सबक है.

किसी एसोसिएशन या फेडरेशन ने मदद क्यों नहीं की?
इस सवाल का जवाब देते हुए गजेंद्र ने कहा कि देखिए, मैं भी CINTAA का सदस्य और फिल्म एसोसिएशन से जुड़ा रहा हूं. कोई भी फेडरेशन या एसोसिएशन किसी की मदद एक बार या दो बार ही कर सकती है, बार बार नहीं. हम जिस व्यवसाय से जुड़े हैं यह बड़ा ही उतार-चढ़ाव वाला है. सिर्फ दो या तीन प्रतिशत ही ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें इस दिन का सामना नहीं करना पड़ता बाकी मध्यम वर्गीय सिर्फ अपनी बचत पर निर्भर रहता है. हम जब अपने करियर के पीक पर रहते हैं तो हमारे खर्चे भी वैसे ही हो जाते हैं, लेकिन हर दिन एक जैसा नहीं रहता. हम एक्टर को उतार-चढ़ाव वाले दिन भी देखने पड़ते हैं तब हमारे यही खर्चे हमे भारी पड़ते हैं.

सिनेमेटोग्राफर बनने मुंबई आए थे सतीश कौल
सतीश के इतिहास के बारे में बात करते हुए गजेंद्र ने कहा कि जी हां, ये बात सच है कि वह पहले सिनेमेटोग्राफर ही बनना चाहते थे, फिर उनका एक्टिंग से जुड़ाव हुआ. पंजाबी और हिंदी की तमाम फिल्मों में उन्होंने यादगार किरदार निभाए. ऐसे महान कलाकार के आकस्मिक निधन पर मैं और मेरा परिवार श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

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