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उर्फी जावेद के फैशन की ट्रोलिंग पर सपोर्ट में आईं सोफिया हयात, बोलीं- 'महिलाओं के प्रति लोग दोगले होते हैं'

हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस सोफिया हयात ने उर्फी जावेद के फैशन च्वॉइस पर कॉमेंट किया. सोफिया का कहना है कि लोग काफी दोगले होते हैं. खासकर महिलाओं को लेकर वह कुछ भी कह देते हैं. बोलने से पहले वह सोचते नहीं हैं. 

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उर्फी जावेद, सोफिया हयात
उर्फी जावेद, सोफिया हयात

सोशल मीडिया सेंसेशन उर्फी जावेद अक्सर ही अपने फैशन च्वॉइस को लेकर चर्चा में रहती हैं. एक से बढ़कर एक ड्रेसेस पहनकर एक्ट्रेस पब्लिक में स्पॉट होती हैं. इसी कारण वो कई बार ट्रोल्स के निशाने पर भी आ जाती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, इस फैशन सेंस के लिए उर्फी जावेद की कई सेलेब्स संग झड़प भी हो चुकी है. फैशन के मामले में उर्फी खुद को किसी से कम नहीं समझती हैं.

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कहना गलत नहीं होगा कि उर्फी जो कुछ भी पहनती हैं, उसमें उनका कॉन्फिडेंस लेवल अलग ही नजर भी आता है. अब हाल ही में एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस सोफिया हयात ने उर्फी जावेद के फैशन च्वॉइस पर कमेंट किया. सोफिया का कहना है कि लोग काफी दोगले होते हैं. खासकर महिलाओं को लेकर वह कुछ भी कह देते हैं. बोलने से पहले वह सोचते नहीं हैं. 

सोफिया ने यूं किया रिएक्ट
सोफिया हयात ने टाइम्स ऑफ इंडिया संग बातचीत में कहा कि 'उर्फी यह सब या तो पैसा कमाने के लिए कर रही हैं या फिर वह अपनी स्किन दिखाकर अटेंशन पाना चाहती हैं, ऐसी ही सोच है बॉलीवुड की भी. मुझे कहना पड़ेगा कि इंडिया मीडिया भी हम एक्ट्रेसेस के लिए टॉपलेस जैसे शब्द इस्तेमाल करती है. यह करना गलत है. टॉपलेस का मतलब होता है अपने एसेट्स को दिखाना. मुझे लगता है कि भारतीय पुरुषों की मानसिकता खराब करने की जिम्मेदार मीडिया भी है. इंडिया में पैसा और फेम, दोनों ही चीजें मोरैलिटी के ऊपर आती हैं'. 

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सोफिया ने कहा कि जब मैं बिग बॉस में थी तो मैंने फिनाले में पार्टिसिपेट करना ठीक नहीं समझा, क्योंकि मेरे लिए मोरैलिटी मायने रखती है, न कि पैसा और फेम. उर्फी जावेद ने अपनी बॉडी पोर्नोग्राफीकली नहीं दिखाई है. अगर कुछ लोग यह सोचते हैं कि महिला की न्यूडिटी शेमफुल होती है तो यह उनकी गंदी सोच है. मैं न तो उर्फी के साथ हूं और न ही खिलाफ. मैं भी जब बिकिनी पहनती हूं और इंस्टाग्राम पर अपनी फोटोज पोस्ट करती हूं तो मेरे उस पोस्ट पर ज्यादा लाइक्स आते हैं. मीडिया में भी मुझे अटेंशन मिलती है. 

"लोग बॉडी से काफी ऑब्सेस्ड हैं. लोगों को इंसान को अंदर से देखना चाहिए. जब आप फिजिकल अपीयरेंस पर ज्यादा फोकस करते हैं तो ऐसे में आप उस इंसान के असली चेहरे से रूबरू नहीं हो पाते हैं. जो कि गलत है. आप ऐसे में एक पपेट बनकर ही रह जाते हैं, क्योंकि आपकी उसकी अंदरूनी नहीं, बल्कि बाहर की अपीयरेंस को जज करते हैं. मुझे नेकेड होना पसंद है, क्योंकि यह एक नैचुरल स्टेट है. हमें महिलाओं को जज करना बंद करना होगा. उर्फी को थोड़ा सतर्क रहना होगा, वरना वह बॉलीवुड के खराब माहौल में फंस जाएंगी." 

 

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