इस पूरे मामले में जब आदित्य नारायण के पिता और लिजेंड्री सिंगर उदित नारायण से आजतक ने बात की, तो उदित का कहना है कि आदित्य में अब भी बचपना है, वे शो से जुड़े बाकि लोगों की तरह चुप नहीं बैठे हैं और यही वजह है कि विवाद का पूरा भार उनके कंधे पर आ गया है. जो कहीं से भी सही नहीं है.
उदित बताते हैं, देखिए जब हम फिल्म बनती है, कोई भी रियलिटी शो है, जिसमें देश के दूर दराज इलाकों से टैलेंट को बुलाकर एक मंच प्रदान किया जाता है. उनके पास मौका होता है कि वे आगे बढ़ें और अपने सपने को पूरा करें. ऐसे में कंटेस्टेंट अगर विवादों में पड़ते हैं, तो उनका फोकस डाइवर्ट होता है. बेहतर है कि वे अपनी गायकी पर ज्यादा रियाज करें और शो पर ध्यान दें. बाकी के ड्रामे पर ध्यान न दें, हालांकि इमोनशल जुड़ाव जरूरी है लेकिन मकसद यही होना चाहिए कि आपको अच्छा गाना है. आप गाने में खोए रहें. अगर आप गाने में खाए रहेंगे, तो लोग जरूर पसंद करेंगे. आपके टैलेंट की वजह से ही तो आपको फैंस का प्यार मिलता है. पहले वे आपके टैलेंट से ही तो प्रभावित होते हैं. बाद में आपकी निजी जिंदगी और फसाने आते हैं.
आदित्य बहुत मैच्योर नहीं है. बचपना अब भी है. वो काफी इमोशनल भी है. ऐसे में शो से जुड़े होने की वजह से उसे लेकर सेंसिटिव हो गया है. आप देखें, पूरे प्लैटफॉर्म में किसी ने कुछ नहीं कहा और सब कुछ आदित्य के ऊपर आ गया. आदित्य तो वहां एंकरिंग कर रहा है. तो उसके ऊपर सारा भार दे देना कहां से उचित है. इसमें आदित्य की कोई गलती है नहीं. आदित्य मुझसे इस पर बात करने आया था, लेकिन मैंने उसे कोई जवाब दिया क्योंकि मेरे मन में यही बात रही कि यह जो प्लेटफॉर्म है इसके मेन लोगों को आकर इसपर बात करनी चाहिए थी. एकंर को क्यों सामने रख दिया. इसमें सबको आदित्य का साथ देना चाहिए. मैं इसलिए अभी उससे नहीं कह रहा कि पहले से ही लोग उस पर टूट पड़े हैं, मेरे बोलने से कहीं वो और भी डिप्रेशन में न आ जाए. हालांकि जब विवाद खत्म होता है, तो मैं उससे कहूंगा कि सब लोगों ने अपना बचाव कर लिया लेकिन तुम क्यों फंस गए ?
अमित जी को बाहर आकर ऐसी बातें नहीं कहना चाहिए
मैंने अमित कुमार वाला शो देखा है, मुझे तो वे बहुत इंजॉय करते नजर आए. मैं अमित जी को पर्सनल लेवल पर जानता हूं. कोरोना के पहले उन्होंने घर पर पार्टी भी दी थी. जहां हम मिले और ढेर सारी बातें भी हुई. किशोर दा ऐसे सिंगर रहे हैं, जिनकी तुलना की ही नहीं जा सकती. हम सिंगर्स उन्हें किताब की तरह मानते हैं और काफी कुछ सीखते हैं. ऐसे लीजेंड लोगों के काम को दोहराना नामुमकिन है. ऐसी तुलना वाली बात तो होनी ही नहीं चाहिए. जब आपने शो पर आने की हामी भर दी है, तो आपको इस तरह बाहर आकर ये सब बातें नहीं करनी चाहिए थी. हालांकि यह बात कहकर मैं भी आदित्य की तरह फंस जाऊंगा. अमित मेरे भाई जैसे हैं, उनका प्यार हमेशा मिला है, मैं उनसे इस बारे में बात करूंगा. हम आर्टिस्ट्स को कई बार बुलाया जाता है. क्योंकि हम अपने काम के साथ-साथ आने वाले लोगों के काम देखें और उन्हें पॉलिश करें. इसका हमें पेमेंट भी मिलता है. सीखने और सिखाने का सिलसिला तो जिंदगी भर जारी रहता है. कई बार टैलेंट पर हम सख्ती से पेश नहीं आते क्योंकि यह भी डर होता है कि कहीं उसके मन में कोई नेगेटिविटी न आ जाए. मेरे अंदाज से तो हर कोई वाकिफ है कि मैं किसी से सख्ती से पेश आ ही नहीं सकता.