अनुपम खेर ने 'आज तक' के कार्यक्रम मुंबई मंथन 2017 में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा, मैं 37 रुपए लेकर मुंबई आया था और आज एफटीआईआई का चेयरमैन हूं. यदि ये हो सकता है, तो कुछ भी हो सकता है. अपने ही स्कूल या कॉलेज में इस तरह कुछ बनकर जाना वाकई बड़ी बात है. बात दें कि अनुपम खेर एफटीआईआई से ही पासआउट हैं. अनुपम ने आगे कहा, मुझे एक दिन पहले स्मृति ईरानीजी का फोन आया कि आपको एफटीआईआई की जिम्मेदारी संभालनी है. मैं इसके लिए तैयार नहीं था. मैं इस जिम्मेदारी को लेने की कोई औपचारिकता नहीं चाहता था, मैं चेयरपर्सन बनने के बाद बिना बताए एफटीआईआई गया. मैं अनुपम खेर का बोझ लेकर वहां नहीं जाना चाहता था. आलोचनाओं से नहीं डरता भाजपा समर्थक होने के कारण एफटीआईआई का चेयरपर्सन बनाए जाने के आरोपों पर अनुपम ने कहा, मेरा अपना कॅरियर, 508 फिल्में ये योगदान कुछ भी नहीं है क्या? मैं आलोचनाओं से डरने वाला इंसान नहीं हूं. यदि मैं आलोचनाओं से डरता तो आठ फिल्में भी नहीं कर पाता. मेरा मानना है कि लोग निगेटिव चीज की ओर ज्यादा जाते हैं, पॉजीटिव नहीं देखते'. अनुपम खेर ने गजेंद्र चौहान का बिना नाम लिए कहा, मेरे पहले जो भी था, उसे चेयरपर्सन बनाना गलत फैसला था.