मुगल-ए-आजम हिन्दुस्तान के सिनेमा के इतिहास में आज भी अपना एक अलग मंजर कायम किये हुये है. यह मोहब्बत, संज, नफरत और गुरुर की ऐसी पोशीदा तस्वीर है जो संवादो की नायाह नक्काशी में सबसे ज्यादा नुमाया होती है. जिसके मायने हमेशा जेहन में अपना असर बनाये रखते हैं.