सरकार के संकटमोचक प्रणब मुखर्जी ने आखिरकार महिला आरक्षण बिल पर बवाल नियंत्रित करने का रास्ता खोज लिया लेकिन इस बिल ने सरकार की फजीहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. महिला आरक्षण न सिर्फ सरकार के लिए बल्कि विपक्ष के लिए मुसीबत बनी हुई थी.