शफ़क़त के गुरु और चाचा उस्ताद फ़तेह अली खान ने उनसे अपनी पसंद के गाने की फरमाइश की तो शफ़क़त कैसे रुक सकते थे. उन्होंने ‘आंखों के सागर’ गाना गाकर सुनाया.