संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने को लेकर करीब 14 साल से राजनीतिक खींचतान जारी है. संसद में पहली बार 1996 में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन विधेयक पारित नहीं हो सका.