एजेंडा आज तक 2014 के सेशन 'हिंदी हैं हम' में इस भाषा की मौजूदा हालत और इसके विकास से जुड़ी
चुनौतियों पर गंभीर चर्चा हुई. किसी ने इसकी जटिलता पर, तो किसी ने इससे जुड़े 'अर्थशास्त्र' की ओर
सबका ध्यान खींचा. इस सेशन में हिंदी कवि कुमार विश्वास, अभिनेता और टीवी प्रेजेंटर अन्नू कपूर और
एफएम पर रेडियो कहानी सुनाने वाले नीलेश मिसरा ने शिरकत की.
जब हिंदी के मुद्दे पर चर्चा होती है, तो यह तय माना जाता है कि इस भाषा को लेकर कई तरह की
शंकाएं है. कवि कुमार विश्वास ने कहा कि शंका तो है, क्योंकि इसके रखवाले ही इससे दोयम दर्जे का
व्यवहार करते हैं. कहा जाता है कि हिंदी अब बाजार की भाषा नहीं. जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा हिंदी
की मां, हिंदी के बेटे पैदा करे.
अभिनेता और टीवी प्रेजेंटर अन्नू कपूर ने कहा कि दासता का चिंतन है ये. मुगलों के आने से पहले प्राकृत
बोली जाती थी, संस्कृत बोली जाती थी. फिर फारसी फैली और अंग्रेजों के समय अंग्रेजी. विजेता कौम
अपने निशान छोड़ती है. हिंदी में बुद्धिमानी की बात की जाए, तो कोई कान नहीं धरेगा, लेकिन अंग्रेजी
में मूर्खता से भरी बातों को भी सुना जाएगा.
पत्रकार और एफएम रेडियो पर कहानी सुनाकर ख्यात हुए नीलेश मिसरा ने कहा कि टीवी पर हिंदी का
मजाक उडाया जाता है. दोष रचनाकारों का भी है. वे खुद तो अच्छा काम करते नहीं हैं, पाठकों और
दर्शकों को दोष देते हैं. जब भी हिंदी में अच्छा काम किया गया, लोगों ने हाथोंहाथ लिया.
अन्नू कपूर ने कहा कि हमारे देश में विविधता है. हिंदुस्तान के लोग आक्रामक नहीं रहे, वर्ना मेडिसन
स्क्वायर गार्डन में माइकल जैक्सन के शो के अलावा हम भीमसेन जोशी का गायन भी सुन रहे होते.
लेकिन अब समय है कि हम एक होकर हिंदी के बारे में आक्रामक रुख अपना लें.