एजेंडा आज तक के दूसरे दिन बात शायरी और स्माइली पर हुई. इस विषय को रखने के पीछे की मंशा यह जानना है कि क्या मोबाइल के दौर में
अभिव्यक्ति का अंदाज बदला है, क्या प्यार मोहब्बत की बातों में नज्मों की जगह स्माइली ने ले ली है. इस सत्र में मशहूर शायर मुनव्वर राना, कवि कुमार
विश्वास, अभिनेता अन्नू कपूर और लेखक अमीश त्रिपाठी ने हिस्सा लिया.
इस खास बातचीत के दौरान मुनव्वर ने अपने शानदार शायराना अंदाज में कहा कि जब शब्द कम पड़ने लगते हैं तो स्माइली की जरूरत पड़ती है.
इसके अलावा स्माइली पर कुमार विश्वास ने कहा कि जिसके घर में कोई मौत हो जाए तो स्माइली काम नहीं आती.
शानदार एक्टर और एंकर अन्नू कपूर ने स्माइली को लेकर एक नई परिभाषा गढ़ी कि स्माइली झलक है और शायरी झांकी है.
शायरी और स्माइली के ऊपर रखे गए इस सत्र में स्माइली को लेकर कई दिलचस्प बातें हुईं. जहां अन्नु कपूर ने कहा कि व्हाट्स एप से नौजवान बिना
खर्चे के अपनी बात एक स्माइली या मैसेज के जरिए बयां कर दिया करते हैं. वहीं इसी बात पर चुटकी लेते हुए मुन्नवर राणा बोले, 'महोब्बत बनियों के लिए नहीं'.
कुमार विश्वास ने स्माइली की सीमाएं भी बता दी. कहा- जब किसी के घर में मौत हो जाए तो
स्माइली वहां काम नहीं आती. बात अब बदलते हुए अंदाज-ए-बयां पर आ टिकी. कहने का वह तरीका जिसमें 144 कैरेक्टर में हर बात कह देने की चुनौती
है.
इस बातचीत के दौरान जब फेसबुक और वॉट्सएप की बात आई तो कुमार विश्वास ने हल्के और हल्के-फुल्के साहित्य के बीच की महीन लाइन दिखाने
का भी प्रयास किया. इसी चर्चा में दो उदाहरण आए. एक- जब सलमान खान रिहा हुए तो उनके और आसाराम को जोड़कर रचा गया वह शेर, जिसमें
आसाराम की रिहाई मांगी गई है. और दूसरा- इकबाल साहब का शेर कि ठहरी-ठहरी सी तबीयत में रवानी आई, इतनी आसानी से मिलती नहीं फन की
दौलत, ढल गयी उम्र तो गजलों पे जवानी आई. मुनव्वर ने भी इसमें जोड़ा कि मौसम में खुनकी है, आगे मर्जी उनकी है. इशारा साफ था, अभिव्यक्ति
सफल हुई और वॉट्सएप मैसेज के साथ भेजी स्माइली यहां नाकाम हो गई, हल्की हो गई.
अमीश त्रिपाठी ने स्माइली की ताकत का अहसास कराते हुए कहा कि वह आज के दौर की अभिव्यक्ति है. उसे खारिज भी नहीं किया जा सकता.