एजेंडा आजतक 2017 के अहम सत्र मिशन कश्मीर में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्ला ने शिरकत की. पूर्व मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्ला ने कश्मीर मसले पर अपने विवादित बयानों पर कहा कि अगर दोनों देशों में किसी में भी हिम्मत है तो वह दूसरे के हिस्से में स्थित कश्मीर ले ले. हालांकि फारूक़ ने यह जोड़ा कि अभी दोनों मुल्क में से कोई भी विवादित हिस्सों के खुद में शामिल करने के लिए युद्ध का नहीं विकल्प नहीं चुन सकता है.
अब्दुल्ला ने कहा कि पड़ोसी देश से चार युद्ध हुए हैं. लेकिन हम पीओके वाला हिस्सा नहीं ले सकें और न ही वह जम्मू के अखनूर इलाके तक पहुंच कर भी कुछ भी ले सकें. युद्ध में बर्बादी के सिवा कुछ नहीं मिला. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्ला ने आगे कहा हम कहते हैं पीओके है और वह कहते हैं यह इंडियन ऑक्यूपाइड कश्मीर (आईओके) है. युद्ध से कोई रास्ता नहीं निकलेगा.
एजेंडा आजतक में फारूक़ अब्दुल्ला ने आगे कहा कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी मुझे पाकिस्तान नहीं ले गए, क्योंकि मुझे वहां पसंद नहीं किया जाता. भले ही यहां के लोग समझते हैं कि मैं पाकिस्तानी हूं, लेकिन यह गलत है. मैं पाकिस्तान गया तो मेरी चमड़ी निकाल लेंगे. फारूक़ अब्दुल्ला ने आगे कहा कि वाजपेयी ने जब मुझे जब मुशर्रफ से मिलाया तो मुझे थर्ड पार्टी बताया, लेकिन मैंने कहा कि मैं थर्ड पार्टी नहीं फर्स्ट पार्टी हूं. फारूक़ अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि अगर वाजपेयी 2004 में लौट कर आते तो जरूर पाकिस्तान से कश्मीर मसले पर हल जरूर निकलता.
फारूक़ अब्दुल्ला ने मुशर्रफ का जिक्र करते हुए कहा कि अब वह खुल कर आतंक को हवा दे रहे हैं. हालिया बयान इसके उदाहरण हैं. फारुक़ अब्दुल्ला ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय युद्ध खत्म करने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका से दखल की मांग की. अब हम अपने दोस्तों से मदद क्यों नहीं लेते हैं. फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि पुराने घावों को भूलकर हमें कश्मीर मसले पर आगे बढ़ना चाहिए.
आप भारतीय है या नहीं सवाल पर फारूक भड़क उठे. उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के सवाल न पूछे जाए. कश्मीर युवाओं के गुस्से पर फारूक बोले कि अपने दिल से यह निकाल लीजिए कि हम हिंदूस्तानी नहीं हैं, यही शक हमको मार देता है. यही रोष का कारण है.