भारत के नंबर वन न्यूज़ चैनल 'आजतक' के महामंच 'एजेंडा आजतक' के छठें संस्करण में दूसरे दिन भी दिग्गजों का मेला लग रहा है. शनिवार को एजेंडा आजतक के पहले सेशन 'सुरीली बात' में अनुराधा पौडवाल शामिल हुईं. लता मंगेशकर से अपनी तुलना पर कहा कि वो उस महान गायक के समकक्ष नहीं ठहरतीं.
एक जमाने में लता को ओवरटेक करने के सवाल पर अनुराधा ने कहा, लता मंगेशकर लीजेंड हैं. इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. समझौते करने पड़ते हैं. लता जी एक संस्था हैं. उन्होंने इसके लिए बहुत मेहनत की. उनसे मेरी तुलना नहीं की जा सकती है. मैंने उन्हीं का गाना सुनकर रियाज किया. मैं खुशनसीब हूं कि मेरा जन्म लता जी जैसे सिंगर के दौर में हुआ और उनके साथ गाने का मौका मिला.
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अनुराधा ने कहा, 90 के दौर में उन्हें कई गायकों के साथ काम करने का मौका मिला, लेकिन कुमार सानू और उदित नारायण के साथ ज्यादा गाने गाए. एक-एक फिल्मों में 10-10 गाने होते थे तो उस दौर में बहुत काम था. अनुराधा ने कहा, 'अच्छी बात थी कि टी-सीरिज का बॉम्बे में स्टूडियों था, जहां हमने सारे गाने रिकॉर्ड किए. सुबह 8 बजे से काम शुरू हो जाता था. जो दोपहर तक चलता था. कई बार ऐसा होता था कि हमें 20 गाने रिकॉर्ड करने पड़ते थे. उन्होंने कहा, वो दौर आज की तरह नहीं था जब कभी-कभार एक-दो गाने का मौका मिलता था.
सुनने वालों की भी बड़ी जिम्मेदारी
मौजूदा दौर में गायकों के छोटे करियर पर अनुराधा ने कहा, 'मैं इसके लिए गायकों को ब्लेम नहीं कर सकती. क्योंकि उन्हें जो दिया जाएगा वही गाएंगे. हमारे जमाने में रियलिटी शोज नहीं थे जहां एक साल में 10-15 सिंगर आ जाते थे. हमारे जमाने में जितना वक्त मुकाम पर पहुंचने में लगता था, उतना ही वहां बने रहने में. लेकिन बहुत बड़ी जिम्मेदारी सुनने वालों की भी बनती है. आज ज्यादातर गाना गाया नहीं जाता, 'बोला' जा रहा है. करोड़ों मिलते हैं इसके लिए. लोग कहते भी हैं कि उनका एक 'बोला' हुआ गाना पॉपुलर हुआ है. जो अचानक आए और गायब हो गए हैं अगर उनपर मेहनत हुई होती तो आज वो भी रहते. ये सुनना बुरा लगता है, जब लोग कहते हैं कि फलाने ने उन्हें फेल कर दिया या पीछे छोड़ दिया.'
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आज गुलशन कुमार नहीं
अपनी गायकी के लिए लोगों को शुक्रिया देते हुए अनुराधा ने कहा, 'लोगों के आशीर्वाद से मुझे करोड़ों दिलों में जगह मिली. इसके लिए खासतौर से गुलशन कुमार जी और टी सीरिज को शुक्रिया देना चाहूंगी. अनुराधा ने कहा, '90 में ऐसा दौर चला जब रोमांटिक फिल्में बनने लगी. तब एक फिल्म में 10 गाने होते थे. इस वजह से मुझे गाने का खूब मौका मिला. ये दौर भी मेरी पहचान बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ. कहा- 'अगर किसी गायक को कभी-कभार एक दो गाना मिले, जैसा आजकल होता है- ऐसे माहौल में टिकना बहुत मुश्किल होता है. उस जमाने में एक फिल्म में 10 गाने होते हैं और सभी के सभी लोकप्रिय हो जाते थे.' अनुराधा ने कहा, गुलशन कुमार के निधन के बाद म्यूजिक को बड़ा नुकसान पहुंचा.
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गुलशन की मौत के बाद बदल गए हालात
अनुराधा ने कहा, गुलशन कुमार की हत्या बड़े सदमे से कम नहीं है. गहराई में देखेंगे तो म्यूजिक उनके जाने के बाद कमजोर हुआ है. वह एक ऐसा आदमी थे, जो बिना किसी स्वार्थ के दिल से लगकर संगीत और कलाकारों को पहचान देने का काम कर रहे थे. आज सिंगर अपनी पहचान छोड़कर अलग तरह के काम कर रहे हैं.