'आजतक' के महामंच 'एजेंडा आजतक' के दूसरे दिन रवीना टंडन ने शिरकत की. उन्होंने 'देश का सिनेमा कैसा हो' सेशन में अपनी बात रखी. रवीना ने पद्मावती मामले में कहा कि हमेशा ही फिल्म इंडस्ट्री को सॉफ्ट टारगेट समझा जाता है.
एक सवाल के जवाब में रवीना ने कहा, जब कोई परेशानी आती है तो फिल्म इंडस्ट्री एक साथ होती है. पद्मावती पर भी हम एकजुट हैं. फिल्मकारों के खिलाफ माहौल नया नहीं. मजरूह सुल्तानपुरी को डेढ़ साल तक जेल में रहना पड़ा था, क्योंकि उन्होंने एक कविता लिखी थी.
धोबी को धोबी कहा तो लोग बुरा मान जाते हैं, सच्चे इतिहास को दिखाने में कोई बुराई नहीं: रवीना
दरअसल, गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को जवाहर लाल नेहरू पर अपनी कविता में टिप्प्णी करने के कारण जेल में डाला गया था. किस्सा कुछ यूं है कि जब देश आजाद हुआ तो सबके साथ मजरूह सुल्तानपुरी ने भी जश्न मनाया. उन्होंने इस दौरान बांस की एक ऊंची कलम बनाई, जिसे सड़कों पर नाचते हुए जुलूस में ले गए. उनका मानना था कि आजाद भारत में कलम की आजादी भी जरूरी है. सुल्तानपुरी समानता के अधिकार की लड़ाई लड़ना चाहते थे. वे शोषितों के पक्ष में खड़े थे. इसी दौरान उन्होंने एक दिन मजदूरों की एक सभा में जवाहरलाल नेहरू पर एक शेर सुना दिया, जो इस तरह था,
मन में जहर डॉलर के बसा के
फिरती है भारत की अहिंसा
खादी के केंचुल को पहनकर
ये केंचुल लहराने न पाए
अमन का झंडा इस धरती पर
किसने कहा लहराने न पाए
ये भी कोई हिटलर का है चेला
मार लो साथ जाने न पाए
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू
मार ले साथी जाने न पाए
केवल चुनाव की वजह से पद्मावती पर विवाद, रवीना बोलीं- 1 महीने बाद सब ठीक हो जाएगा
नेहरू और खादी के खिलाफ लिखे इस शेर को सुनकर कांग्रेस आग बबूला हो गई. सुल्तानपुरी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुंबई के तत्कालीन गर्वनर मोरारजी देसाई ने उन्हें आर्थर रोड जेल में डाल दिया. मजरूह सुल्तानपुरी को नेहरू से माफी मांगने को कहा गया, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. मजरूह डेढ़ साल तक जेल में रहे. लेकिन सुल्तानपुरी की लोकप्रियता फिर भी कायम रही. उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा. आखिरकार, सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा.
मैंने धोबी को धोबी बोल दिया तो क्या बुराई है: रवीना
एजेंडा आजतक में हिस्टोरिकल फिल्मों पर इतना विवाद क्यों होता है पूछे जाने पर रवीना का कहना था कि हम जाति, धर्म या फिर यूं कहें कि एक लिमिट में रह कर चीजों क्यों करते हैं. अगर मैंने धोबी को धोबी बोल दिया तो क्या बुराई है. अक्सर फिल्मों में ऐसे ही समुदाय या समाज को लेकर मुद्दे बनाए जाते हैं. मैं एक एक्ट्रेस हूं अबर इसे हिंदी में अभिनेत्री कह दिया तो क्या बुराई है. हिंदी को लेकर हम डाउन मार्केट हो जाते हैं कि हिंदी में थोड़ा अच्छा नहीं लगता.