scorecardresearch
 

बंदूक और पत्थरों के पीछे की वजह जानने की कोशिश होनी चाहिए: महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने कहा कि हम पत्थर और बंदूक का जवाब बंदूक से ही दे रहे हैं. जब तक हम बात नहीं करेंगे, तबतक कश्मीर समस्या का हल नहीं निकल सकता और न ही लोगों के दिमाग से आतंकी सोच.

Advertisement
X
एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak)
एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak)

Advertisement

आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 'जन्नत की हकीकत' सत्र के दौरान सूबे के ताजा हालात पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा बने 70 साल हो गए, लेकिन हम अभी भी पत्थर और बंदूक के पीछे की वजह नहीं देख पाए. हम बंदूक का जवाब बंदूक से दे रहे हैं और पत्थर का जवाब भी बंदूक से दे रहे हैं. हम बात करने के लिए तैयार ही नहीं होते हैं.

हाल में हुए पुलवामा एनकाउंटर का जिक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस मामले में कोई बोलना नहीं चाहता है. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस. हर कोई चुप है. इस एनकाउंटर में इंडोनेशिया से एमबीए करके लौटा एक शख्स मारा गया. उसका तीन महीने का बच्चा है. हमें बात करनी होगी. बिना बात किए कश्मीर की समस्या का हल नहीं निकल सकता है. अब घाटी में कोई बच्चा मर जाता है तो मिठाई बांटी जाती है. उसकी मां अब सोचती है कि मैं शहीद की मां हो गई. आतंकी मारने से आतंकी ख्यालात बढ़ रहे हैं. यही हालात रहे तो कश्मीर हाथ से निकल जाएगा.

Advertisement

पत्थरबाजों के साथ हमदर्दी के सवाल पर महबूबा ने कहा कि जो बच्चा पत्थर उठाता है तो उसके दिमाग में क्या है. इसे हमें देखना होगा. आतंकियों को मारने से आतंक नहीं रूक जाएगा. उनकी आतंकी सोच को एक नई सोच से बदलना होगा. बुरहान वानी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मैं उसे मासूम नहीं मानती हूं, लेकिन उसने किसी एनकाउंटर में हिस्सा नहीं लिया था. टास्क फोर्स ने जब उसके बड़े भाई की पिटाई तो उसने बंदूक उठा ली. सुरक्षा बलों ने उसका एनकाउंटर कर दिया. मुझे मालूम होता तो मैं कहती उसे जिंदा पकड़ो. बुरहान वानी मारा गया तो 100 से ज्यादा लोगों ने जान दी. सिर्फ एक सोच के पीछे. हमें इसी सोच को उनके दिमाग से हटाना होगा.

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सूबे के लोगों को लगता है कि उनके अधिकारों को छीना जा रहा है. आजादी की बात तो दूर है, जब 370, 35(ए) जैसे अहम अधिकारों को चुनौती दी जाती है तो लोगों के दिमाग पर यह सोच पैदा होती है. कश्मीर के लोगों को क्या चाहिए. इसे देखना होगा. आज 10 साल का बच्चा बंदूक उठा रहा है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. लेकिन इसका हल कोई नहीं ढूंढ रहा है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement