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न नेहरू, न इंदिरा, न राजीव, न मोदी...कश्मीर के लिए वाजपेयी ने सबसे ज्यादा काम किया: महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो काम किया, वह कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया.

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एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak)
एजेंडा आजतक में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती (फोटो-aajtak)

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आजतक के खास कार्यक्रम 'एजेंडा आजतक' में जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत के लिए वाजपेयी ने जो काम किया, वह न तो पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कर पाए, न ही इंदिरा गांधी, न ही राजीव गांधी और न ही नरेंद्र मोदी. 2004 में अगर वाजपेयी सत्ता में आ जाते तो कश्मीर समस्या का समाधान हो जाता.

2003 की एक घटना का जिक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री कश्मीर में एक रैली को संबोधित करने आए थे. उस रैली में करीब 30-40 हजार लोग मौजूद थे. वाजपेयी ने उनके दिल की बात की थी. रैली जब खत्म हुई तो लोग काफी खुश होकर अपने घर गए थे. 2015 में भी हमने उसी जगह पर पीएम नरेंद्र मोदी की रैली कराई. उसमें भी 30-40 हजार लोग इकट्ठा हुए. 80 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान भी हुआ, लेकिन लोग खुश नहीं थे. पीएम मोदी ने कश्मीर की समस्या पर बात ही नहीं की. वाजपेयी और मोदी में जमीन आसमान का फर्क है.

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उन्होंने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि हम कश्मीर को बहुत खूबसूरत बनाएंगे, लेकिन आज वहां के हालत ने उसे बदसूरत बना दिया है. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने कहा था कि सुई को वापस नहीं घुमाया जा सकता है, लेकिन मैं कहती हूं कि सुई उसी जगह पर अटक गई है. इसे चलाने की कोशिश वाजपेयी ने की थी. उन्होंने कारगिल और संसद पर हमले के बाद भी तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से बातचीत को जारी रखा, क्योंकि वह जानते थे कि कश्मीर का मसला बंदूक से नहीं आपसी बातचीत से हल होगा.

बीजेपी के साथ हुए अपने गठबंधन पर बोलते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैंने वाजपेयी के उन प्रयासों के आधार पर यह नुकसानदायक फैसला लिया था. लेकिन इस गठबंधन से कश्मीर की समस्या का हल निकालने की जो मुझे उम्मीद थी वह पूरी नहीं हो पाई. मोदी के पास बहुमत की सरकार थी. अगर वह चाहते तो इस समस्या का हल निकाल लेते. उन्होंने मौका खो दिया.

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