आजतक के महामंच एजेंडा आजतक के सातवें संस्करण का आगाज हो गया है. इसके दूसरे सत्र में 'कानून से बनेगा राम मंदिर' पर बात हुई. इसमें हिस्सा लिया एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने. इस सत्र का संचालन श्वेता सिंह ने किया. तुलसी ने कहा कि राम मंदिर पर कानून बनाने का मतलब है इस मुद्दे को और लटकाना वहीं बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर निर्माण का काम न्यास का है, बीजेपी केवल इसके निर्माण की राह में आ रही बाधाओं को दूर करेगी.
क्या कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जा सकता है? इस पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि अगर कानून बनाकर राम मंदिर के निर्माण के बारे में सोचा जाता है तो यह मंदिर के निर्माण में देरी को बुलावा देना है. उन्होंने बताया कि कानून बनने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा. कोर्ट नोटिस भेजेगा उसका जवाब मांगेगा, दोनों पक्षों को बुलाया जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में डेढ़ साल से कम समय नहीं लगेगा. सबसे अच्छा यही होगा कि सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है वही चले. अगर जनवरी से लगातार सुनवाई होती है तो 4 महीने में निर्णय पर पहुंचा जा सकता है. केटीएस तुलसी ने साथ में यह भी बताया कि सुनवाई के लिए कोर्ट पर दबाब नहीं डाला जा सकता. तुलसी ने कहा कि मृत्यु के फैसले पर डाली गई पिटिशन सुनने के लिए कोर्ट आधी रात को बैठी क्योंकि अगले दिन फांसी होनी थी. राम मंदिर का मामला ऐसा नहीं है राम मंदिर का मामला टाइटल सूट है. इसका निपटारा ऐसे नहीं हो सकता.
केटीएस तुलसी ने कहा कि सबसे अच्छा यह है कि दोनों पक्ष आपस में बैठकर तय कर लें. आपसी सहमति से मंदिर बनाना ज्यादा सही होगा. राम मंदिर पर तुलसी ने कहा कि गुरु नानक ने भी कहा था कि राम का जन्म वहीं हुआ था.
सुधांशु त्रिवेदी ने कानून से मंदिर की निर्माण पर बोलते हुए कहा कि यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जिसका मामला डेढ़ सौ साल से कोर्ट में है. दूसरा यह दुनिया के इकलौते भगवान हैं जो खुद कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं. तीसरा दुनिया में पहली बार भगवान का टाइटल सूट चल रहा है. उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को लपेटते हुए कहा कि तब टाइटल सूट दाखिल किया गया कि 12 साल पूरे हो रहे थे और ताला खुलने के वक्त निकल जाता. सुधांशु ने तार्किक तरीके से यह बताने की कोशिश की कि 1949 में मूर्तियां प्रकट हुईं, कोर्ट ने कहा पूजा करो. हाई कोर्ट ने भी निर्णय देते हुए कभी भी इसे बाबरी मस्जिद नहीं कहा.
AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर सरकार में दम है तो वह राम मंदिर पर कानून बनाकर देखे. उसे चैलेंज किया जाएगा. उन्होंने मूर्तियों के प्रकट होने के सुधांशु त्रिवेदी की बात का खंडन करते हुए कहा कि मूर्तियां वहां रखी गई थीं. एफआईआर में इस बात का जिक्र है. कांग्रेस ने ताला खोला. ढांचा गिराने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. यह भी क्रिमिनल केस है. औवेसी का कहना था कि यह मामला टाइटल सूट का है और सुप्रीम कोर्ट ही इस पर फैसला कर सकता है. इस मामले का निपटारा आस्था के आधार पर नहीं हो सकता. औवेसी ने कहा कि कृष्णा कुमार के मामले में निर्णय आ चुका है कि आप संविधान से धोखा नहीं कर सकते. उन्होंने आगे कहा कि आस्था के आधार पर ही मुल्क चलने लगे तो हमारे और बगल के मुल्क में क्या अंतर रह जाएगा. ओवैसी ने कहा कि चीफ जस्टिस मानते हैं कि यह टाइटल सूट है तो इसका फैसला उसी आधार पर आना चाहिए.
कोर्ट से किस तरह की उम्मीद? पर केटीएस तुलसी ने पाकिस्तान की एक कहानी बताई जिसमें उन्होंने बताया कि लाहौर में गुरु अर्जुन देव शहीद हुए थे. वहां सिखों ने गुरुद्वारा बनवा दिया. मुस्लिमों ने उसे तोड़कर वहां मस्जिद बना दी फिर सिखों ने वहां गुरद्वारा बना दिया. यह मामला कोर्ट से होते हुए प्रिवी कौंसिल तक पहुंचा. वहां कहा गया कि वहां पर क्या था इससे तय नहीं होगा कि वहां क्या होना चाहिए. तुलसी ने कहा कि कौंसिल ने कहा कि यहां पर अर्जुन देव की शहीदी हुई थी इसलिए वहां पर गुरुद्वारा होना चाहिए.
सुधांशु ने तमाम तर्क दिए कि खुदाई में वहां 12 खंभे मिले थे जिसके बाद खुदाई रोक दी गई. उन्होंने कई कवियों का जिक्र किया जिन्होंने राम की प्रशंसा की है. इस पर ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि आपकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट में आपको वकील क्यों नहीं खड़ा कर देती. ओवैसी का तर्क था कि अगर इन बातों में जाएंगे तो कोई हल नहीं निकलेगा. हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए. कोर्ट के सामने ये सब नहीं चलेगा वहां केवल प्रमाण चलेंगे. ओवैसी ने यह भी याद दिलाया कि हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए स्टे लगा दिया था कि यह स्ट्रैंज निर्णय है. ओवैसी ने कहा कि मामला टाइटल शूट में गया था वहां से पार्टीशन में निकला.
सुधांशु ने कहा कि बाबर का शासन कुल ढाई साल का था और मीर बाकी अयोध्या किसलिए गए थे. इस सवाल पर कि बीजेपी की सरकार आएगी तो मंदिर बन जाएगा के जवाब में सुधांशु ने कहा कि जो लोग पहले कहते थे कि यहां बाबरी मस्जिद फिर से बनाएंगे जैसे मुलायम सिंह और नरसिम्हा राव आज उनकी पार्टी के लोग ऐसा नहीं कहते. अखिलेश तो वहां भव्य विष्णु मंदिर बनाने की बात करते हैं. सुधांशु ने कहा कि पूरे देश में यह जागरूकता आई है लोग राम मंदिर की बात करने लगे हैं. यह बदले हुए माहौल का प्रतीक है.
आजादी के 70 साल बाद भी हमें बाबर की औलाद माना जाता है- ओवैसी
ओवैसी ने आरोप लगाया कि भारत को आजाद हुए 70 साल हो गए लेकिन आज भी मुसलमानों को बाबर की संतान माना जाता है. उत्तर प्रदेश की 80 सीटों को प्रभावित करने के लिए बीजेपी राम मंदिर की बात कर रही है. आस्था के आधार पर इसका फैसला नहीं हो सकता.
सुधांशु त्रिवेदी ने उनकी बात का जवाब देते हुए कहा कि हमारा संकल्प है राम मंदिर वहीं बने और भव्य बने लेकिन मंदिर बनाने का काम न्यास का है बीजेपी इसकी राह में आने वाले सभी मुश्किलों को हल करेगी.
सुधांशु ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस दाम के लिए राम मंदिर के पक्ष में खड़ी थी और हम राम के लिए. रविशंकर प्रसाद हमारे वकील थे रामलला की तरफ से.
इस पर केटीएस तुलसी ने कहा कि कोर्ट ऑफ कंडक्ट के मुताबिक कोई वकील मामला लेने से मना नहीं कर सकता अगर उसे फीस मिल रही है और उसके पास समय है. ओवैसी ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि सिब्बल को तो अब राम मंदिर मामले में पेश होने से मना कर दिया गया है.
ओवैसी ने कहा कि गरीबी दूर करना भी सरकार का काम है मंदिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छोड़ दिया जाना चाहिेए. इस पर सुधांशु त्रिवेदी ने उन तमाम संगठनों के नाम गिनाए जिन्हें आरएसएस चलाता है इस ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि आप बीजेपी के प्रवक्ता हैं या आरएसएस के. सुधांशु ने कहा कि सच्चर कमिटी और रंगनाथ मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट कांग्रेस ने नहीं लागू की. इस पर ओवैसी ने पूछा कि आप बताएं कि आपकी सरकार ने सच्चर कमेटी, रंगनाथ कमेटी और कुंडू कमेटी की कितनी रिपोर्ट लागू कर दी.
मुसलामानों को मिले आरक्षणः ओवैसी
ओवैसी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15, 16 के मुताबिक मुसलमानों को भी आरक्षण मिलना चाहिए. यह धर्म के आधार पर न मानें तो जाति के आधार पर होना चाहिए क्योंकि ऐसी कई जातियां हों जो बेहद गरीब हैं. सुधांशु ने कहा कि अगर यह साबित हो जाए कि मुसलमानों को पढ़ने नहीं दिया गया तो ऐसा हो सकता है लेकिन मुसलमानों ने भारत पर शासन किया है. अगर उन्होंने अपने से पढ़ाई छोड़ी, मदरसों में चले गए तो इसमें सरकार क्या कर सकती है.
ओवैसी ने सवाल उठाए कि आज की गरीबी देखी जानी चाहिए. जिसका समर्थन केटीएस तुलसी ने भी किया. तुलसी ने कहा कि संविधान में आरक्षण की बात है उसमें कहा गया है कि आज के हालात पर आरक्षण देने वालों की पहचान हो.
सुधांशु के इस दावे पर कि गुजरात में 8 फीसदी मुस्लिम हैं और साढे़ सात फीसदी सररकारी नौकरी में है. ओवैसी ने पूछा कि 26 साल से गुजरात में कोई मुस्लिम सांसद क्यों नहीं है. सुधांशु की इस बात पर कि यह विचार किया जाना चाहिए की रामपुर के राजा, जूनागढ़ की रियासत, लखनऊ के नवाब ये इतने समृद्द थे तो आज गरीबी में क्यों? ओवैसी ने उनकी बात लपक ली और कहा कि अगर आप मानते हैं कि मुसलमान गरीब हुआ है तो फिर उन्हें आरक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता.
मुसलमानों को दे सकते हैं आरक्षण : केटीएस तुलसी
केटीएस तुलसी ने कहा कि जो कास्ट बैकवर्ड हैं उन्हें आरक्षण दिया जा सकता है. ओवैसी ने कहा कि आप मराठों को दे सकते हैं. जाटों को दे सकते हैं, दूसरी जातियों को दे सकते हैं तो मुसलमानों को क्यों नहीं. सुधांशु ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जातियों के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण मिलता है. सुधांशु ने कहा था कि धार्मिक आधार पर आरक्षण एक बार ही दिया गया था वह भी 1916 में और उसका परिणाम विभाजन निकला. इस पर ओवैसी ने सरदार पटेल की बात याद दिलाई जिसमें उन्होंने ड्राफ्टिंग कमेटी की बैठक में कहा था कि मुसलमानों को बराबरी का हक दिया जाएगा.
केवल छत्तीसगढ़ में व्यावहारिक हार : सुधांशु त्रिवेदी
राज्यों में बीजेपी के खिलाफ नतीजे आने पर सुधांशु ने कहा कि एमपी में पार्टी टेक्निकल रूप से हारी है. बीजेपी का ये तर्क गुजरात चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के उस बयान की याद दिलाता है जिसमें पार्टी ने इसे नैतिक हार बताया था. सोशल मीडिया पर तब कांग्रेस के इस बयान की खूब चुटकी ली गई थी. राजस्थान में वोट प्रतिशत बरकरार रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ में व्यावाहारिक हार हुई है. इस ओवैसी ने कहा कि ये लोग राम मंदिर के सहारे चुनाव जीतना चाहते थे लेकिन वह मुद्दा मर चुका है अब इन्हें जनता के हित के बारे में सोचना चाहिए.
ओवैसी ने कश्मीर में हिंसा का मामला उठाते हुए कहा कि 2014 के बाद सबसे ज्यादा हिंसा हुई है. जनता के एक सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा कि अगर वहां बच्चे मारे जाते हैं, सबसे ज्यादा सिक्योरिटी पर्सनल मारे जाते हैं तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा. यह सवाल सरकार से पूछा जाना चाहिए.