एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा है कि अगर भारत के पास राफेल विमान होता तो निश्चित रूप से बालाकोट का रिजल्ट कुछ और होता. दिल्ली में आयोजित एजेंडा आजतक के सत्र 'इंडिया फर्स्ट' को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि राफेल आने के बाद दुश्मन अब हम पर हमला करने से पहले सोचेगा. उन्होंने कहा कि मई के अंत तक चार राफेल विमान अंबाला में आएंगे उसके बाद वायुसेना अपने पायलटों को ट्रेन कर पाएंगे.
बढ़ रही वायुसेना की ताकत
उन्होंने कहा, 'लोग सोचते हैं कि राफेल आने से कैसे ताकत बढ़ेगी, तो हम कहेंगे कि हमारे सारे लड़ाकू विमान अपग्रेड हो रहे हैं. हम राफेल और सुखोई-30 एमकेआई का बेहद खतरनाक लीथल कॉम्बिनेशन बना रहे हैं. इसी तरह चिनूक और अपाचे की ताकत भी हमारे पास है. अवाक्स और फ्लाइंग रीफ्यूलिंग की मात्रा बढ़ा रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम जगुआर, मिराज को भी अपडेट कर रहे हैं. अगले 10 सालों में जो भी योजनाएं हैं, उन्हें तेजी से पूरा कर रहे हैं. 40 एलसीए का ऑर्डर किया है. 83 एलसीए और ऑर्डर करेंगे. हमारे पास फाइटर एयरक्राफ्ट की संख्या तेजी से बढ़ जाएगी. रडार सिस्टम भी स्वदेशी हो जाएंगे अगले 6 से 8 साल तक.
उन्होंने कहा कि हमें देश में ही फाइटर जेट बनाने होंगे. स्वदेशी होने से पैसा बचता है. अगर अपने विमान बाहर जाएंगे तो पैसा आएगा. डीआरडीओ को आगे बढ़ना होगा. पीएसयू को तेजी से काम करना होगा. निजी कंपनियों को आगे आना होगा. अभी निजी कंपनियों का फोकस निर्यात वाले प्रोजेक्ट्स पर है.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को यानी आज विजय दिवस है आज के दिन ही 1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर बांग्लादेश का निर्माण कराया था. उस जंग में वायु सेना की महत्वपूर्ण भूमिका थी. एयरचीफ मार्शल ने कहा कि इस जंग में शामिल सैनिकों के बलिदान और जीत से आज भी हम प्रेरणा लेते हैं.
किस तरह से कर रही वायु सेना तैयारी
एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा, 'हमारा सिक्योरिटी सिनेरियो आपको पता है. एयरफोर्स में लगातार विकास का अभ्यास चल रहा है. हमारी वायुसेना लगातार विकसित हो रही है. अब उप-महाद्वीपीय जंग बड़ा खतरा है. इससे निपटना बेहद जरूरी है. यह पारंपरिक युद्ध जैसा नहीं है. टारगेट का ध्वंस होना जरूरी है. हमारा नुकसान कम हो और उनको डैमेज ज्यादा हो.'