देश की सुरक्षा के लिए सेना के जवान 24 घंटे तत्पर रहते हैं. हालात देश के अंदर बिगड़े या सीमा पर, सेना हमेशा फ्रंट पर होती है. ऐसे में जरूरी है कि सेना को भी बदलते समय के हिसाब से तैयार किया जाए. बार-बार सेना के जवानों के उपकरण, पोशाक आदि बदलने की बात होती है लेकिन यह जानना जरूरी है कि इसकी मांग क्यों होती है. देश के नंबर वन न्यूज चैनल आजतक के 'एजेंडा आजतक' के आठवें संस्करण के दूसरे दिन भारत के आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने इन तमाम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की.
आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा, 'बदलाव हर जगह जरूरी होता है. देश बदल रहा है तो सेना में बदलाव भी होना चाहिए. जिस तरह की टेक्नोलॉजी आ रही है जिस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है, इसका इस्तेमाल युद्ध के क्षेत्र में भी होगा. इसलिए यह समझना जरूरी है कि हमारे दुश्मन किस तरह टेक्नोलॉजी को युद्ध के क्षेत्र में इस्तेमाल करेंगे. इसलिए विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें भी उस तरीके से तैयार रहना होगा.'
सेनाध्यक्ष ने आगे कहा, 'अगर युद्ध क्षेत्र में एक कदम आगे रहना है तो विरोधियों की चाल और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक कदम आगे रहना बेहद जरूरी है. हम सिर्फ पहले के युद्धों में प्रयोग की गई तकनीक और रणनीति से दुश्मनों को नहीं हरा सकते. हमें भविष्य की लड़ाइयों से कैसे निपटना है, इस पर ध्यान देना होगा. इसलिए इसपर चर्चा और बदलाव दोनों बेहद जरूरी है.'
जाहिर है सभी देशों में युद्ध जैसे हालात के लिए सैनिकों को तैयार किए जाते हैं. आजकल सैनिकों को काफी हाईटेक किया जा रहा है. उनके हथियार अत्यंत आधुनिक हो रहे हैं. इसलिए उनसे मुकाबला करने के लिए हमें भी काफी बदलाव करने होंगे. इसपर चर्चा करते हुए जनरल रावत ने कहा, 'आने वाले समय में तीन-चार साल लंबे युद्ध नहीं होंगे. लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए बेहद कम समय मिलेगा. क्योंकि उसके बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव भी देखना होता है. आपके दुश्मन आपको न्यूक्लियर हथियार का डर दिखाएंगे. इसलिए आपको जीत काफी कम समय में सुनिश्चित करनी होगी.'
जनरल रावत ने आगे कहा, 'कम समय में जीतने के लिए सेना की टुकड़ियों को कई महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी होंगी. मसलन जैसे ही युद्ध की घोषणा होती है जल्दी से जल्दी दुश्मन पर हावी हो जाएं और जीत मुकर्रर करें. इसके लिए बदलाव टेक्नोलॉजी का संचार बहुत जरूरी है.'