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NRC में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा, जो नागरिक नहीं होगा, निकाला जाएगा: अमित शाह

एजेंडा आजतक के मंच से केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से देश के अल्पसंख्यकों को रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है. क्योंकि इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि यह कानून तीन देशों से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फोटो- शेखर घोष)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फोटो- शेखर घोष)

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  • एजेंडा आजतक के मंच पर अमित शाह
  • नागरिकता कानून पर रखा सरकार का पक्ष
  • किसी की नागरिकता नहीं लेगा ये कानून: शाह

एजेंडा आजतक के मंच से देश के गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून लागू होने के बाद इस पर विस्तार से सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने इसका विरोध करने वाले लोगों को एक-एक कर हर पहलू का जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता कानून और एनआरसी लाने की बात तो पूर्व की कांग्रेस सरकार करती आई है लेकिन जब आज मोदी सरकार इसे लागू कर रही है तो वही लोग विरोध कर रहे हैं.

CAA से नहीं जाएगी किसी की नागरिकता

आजतक और इंडिया टुडे के न्यूज़ डायरेक्टर राहुल कंवल से बातचीत के दौरान अमित शाह ने कहा कि इस कानून से देश के अल्पसंख्यकों को रत्ती भर भी नुकसान नहीं होने वाला है. क्योंकि इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि यह कानून तीन देशों से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को यह कानून नागरिकता देगा.

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नागरिकता कानून को एनआरसी से जोड़कर देखने और फिर इसके नतीजे के बारे में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुस्लिमों के लिए एनआरसी नहीं है.

अपने बनाए कानून के विरोध में कांग्रेस

अमित शाह ने कहा कि एनआरसी हम लेकर नहीं आए थे, कांग्रेस अध्यक्षा और गुलाब नबी आजाद जैसे लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह जान लें कि पहली बार 1985 में असम समझौते के दौरान पहली बार एनआरसी की बात स्वीकार की गई. इसके बाद कांग्रेस की ही सरकार में एनआरसी के लिए नागरिकता कानून में संशोधन किए गए. आज कांग्रेस अपने बनाए कानून पर ही हमसे सवाल कर रही है तो क्या यह कानून सिर्फ दिखावे के लिए बनाए थे.

देश के विश्वविद्यालयों में कानून के विरोध पर अमित शाह ने कहा कि देश की सिर्फ 22 यूनिवर्सिटी में इस कानून के खिलाफ विरोध हुए हैं जिनमें से 4 में गंभीर प्रदर्शन हुए हैं. इसकी वजह है कि बच्चों ने ठीक से कानून पढ़ा नहीं है. उन्हें पहले इस कानून को ठीक ढंग से पढ़ना चाहिए, अगर कानून किसी के खिलाफ लगता है तो सरकार के साथ चर्चा करनी चाहिए हम उनकी शंकाओं को दूर करने के लिए तैयार हैं.

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गृह मंत्री ने जामिया हिंसा पर कहा कि पुलिस कभी छात्रों के पीछे नहीं पड़ती, लेकिन कैंपस के भीतर से पथराव होता है, छात्रों के साथ आगजनी करने वाले लोग होते हैं, ऐसे में अगर पुलिस कुछ नहीं करती तो माना जाता पुलिस अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि विरोध जब हिंसा का रूप लेता है तो उसे रोकना पुलिस का फर्ज भी है और धर्म भी है, जो उन्होंने निभाया है. शाह ने कहा कि पुलिस को कैंपस में घुसना चाहिए या नहीं, अभी इस बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. पुलिस को मेरी ओर से दिल्ली में शांति कायम करने के निर्देश दिए गए हैं.

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