एजेंडा आजतक 2019 के दूसरे दिन 'पढ़ाई की लड़ाई!' सेशन में सीपीआई (एम) नेता कन्हैया कुमार, एबीवीपी दिल्ली के राज्य सचिव सिद्धार्थ यादव, अनिमा सोनकर ज्वाइंट सेक्रेटरी एबीवीपी और जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र मोहम्मद अफजल अली ने शिरकत की.
चर्चा की शुरुआत पीएम मोदी के बयान पर हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस छात्रों को भटका रही है. इस पर कन्हैया कुमार ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि विद्यार्थियों को गुमराह किया जा रहा है. लेकिन सच बात यह है कि विद्यार्थियों को नासमझ समझना ये सबसे बड़ी नासमझी है. विद्यार्थी कैंपस में पढ़ाई करने के लिए आते हैं. देश-दुनिया के बारे में जानकारी रखते हैं. उनको मालूम है कि क्या सही है और क्या गलत.
कन्हैया कुमार बोले- छात्र पहले से ही सड़कों पर हैं
कन्हैया ने आगे कहा कि ये कानून अभी पास हुआ है. इस कानून के आने से पहले कई विश्वविद्यालयों के छात्र सड़कों पर हैं. उनका मुद्दा अलग है. वे बढ़ी हुई फीस को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. जेएनयू में फीस वृद्धि की गई है. जेएनयू फीस वृद्धि के बाद देश की सबसे महंगी यूनिवर्सिटी बन जाएगी. जेएनयू का अपना डेटा कहता है कि 100 में से 40 छात्रों के परिवार की मासिक आय 10 हजार से 12 हजार रुपये है. कैंपस के मुद्दे पढ़ाई-लिखाई के मुद्दे हैं. वो चाहते हैं कि वो जिम्मेदार नागरिक बनें. जिम्मेदार नागरिक की भूमिका है कि जो देश को तोड़ने वाला कानून हो, संविधान पर हमला हो रहा हो, तो इस कानून खिलाफ अपनी आवाज मुखर करना चाहिए.
प्रधानमंत्री जॉर्ज बुश की भाषा बोल रहे- कन्हैया कुमार
कन्हैया ने पीएम की बात पर आगे कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पाकिस्तान की भाषा है तो मैं कहूंगा कि प्रधानमंत्री जॉर्ज बुश की भाषा बोल रहे हैं कि जो जॉर्ज बुश के साथ नहीं है तो वो ओसामा बिन लादेन के साथ खड़ा है. लोकतंत्र में सरकार का विरोध करना यह एक लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है. लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब विपक्ष होता है. कैंपस में जो विद्यार्थी हैं उनको बधाई देता हूं कि जब इस देश का विपक्ष चुप है तो यूनिवर्सिटी विपक्ष का रोल अदा कर रही है.
एबीवीपी नेता बोलीं- पुलिस को यूनिवर्सिटी में घुसने का शौक नहीं
चर्चा में आगे अनिमा सोनकर ने कहा कि जो मूल बात है वो हम मिस कर रहे हैं. सवाल है कि जामिया में विरोध क्यों हो रहा है. जामिया में जो विरोध हो रहा है वो छात्रों का मुद्दा नहीं है. हिन्दू विश्व में अल्पसंख्यक है. अगर हम अल्पसंख्यक हिन्दुओं को सुरक्षा दे रहे हैं तो उसमें गलत क्या है. जामिया के जो मुद्दे हैं. कैंपस में जब पुलिस घुसती है तो जामिया में 27 हजार छात्र पाए जाते हैं. मैं दिल्ली पुलिस का समर्थन करती हूं क्योंकि उनको विश्वविद्यालय में घुसने का शौक नहीं है. जब छात्रों ने हिंसक प्रदर्शन किया तो पुलिस ने एक्शन लिया. पुलिस की जिम्मेदारी है लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल करने का.
जामिया के छात्र ने कहा- आलोचना लोकतंत्र का हिस्सा
जामिया के छात्र अफजल अली ने कहा कि आलोचना लोकतंत्र का ही हिस्सा है. जामिया का छात्र आज विरोध नहीं कर रहा है. पहले से करता आ रहा है. कुछ दिन पहले ही एक प्रोफेसर के खिलाफ प्रोटेस्ट हो रहा था. छात्रों की संख्या पर बोलना चाहूंगा कि पाए गए और होने में फर्क होता है. पहले दिन मैं प्रदर्शन में शामिल था. जब मैं गिरा तो पुलिस वाले ने मुझे मेरी हुडी पकड़ते हुए खींचा और कहा कि इसको पकड़ो ये बहुत सलाम-सलाम कर रहा था. ये क्या है.
अफजल ने आगे कहा कि हमने नहीं उकसाया था. हमारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन था. उन्होंने बैरिकेटिंग लगाई, हमें रोका. आंसू गैस के गोले दगाए. हम सिर्फ अपना नारा लगा रहे थे. बस जलाने के लिए केरोसीन चाहिए होता है. हमारे पास पैसा कहां है. इमाम साहब को मारा गया. कैंपस में वीसी की परमिशन के बिना पुलिस को घूसने का परमिशन नहीं होता लेकिन पुलिस अंदर घुसी और लाइब्रेरी में बंद कर मेरे दोस्त को मारा. पुलिस छात्रों को उठाकर स्टेशन ले गई, रात भर वहां रखा. छात्रों ने जब मेडिकल ट्रीटमेंट मांगा तो पुलिस ने कहा कि इन्हें मरने दो. दो-तीन मरेंगे तभी अकल ठीक होगी.
सिद्धार्थ यादव बोले- हमें बदनाम करना बंद कीजिए
सिद्धार्थ यादव ने कहा कि जो प्रदर्शनकारी गिरफ्तार हुए हैं उनके पास जामिया का आईकार्ड नहीं है. यही मुद्दा है. जामिया में जो लोग अरेस्ट हो रहे हैं क्यों उनके पास आईकार्ड नहीं है. स्टूडेंट का प्रोटेस्ट ऐसा नहीं होता. हम बसें नहीं जलाते हैं. हमें बदनाम करना बंद कीजिए. स्टूडेंट विवेकानंद की मूर्ति पर कुछ लिखने नहीं जाता. इस देश का स्टूडेंट बहस में विश्वास करता है. जब कई बार नागरिकता को लेकर अमेडमेंट हो चुके हैं तो आज इसका विरोध क्यों हो रहा है. अगर यह कानून असंवैधानिक है और देश के मुसलमानों के खिलाफ है तो बता दीजिए.
कन्हैया कुमार बोले- 100 बार बोलने से झूठ सच नहीं हो जोता
कन्हैया ने कहा अनिमा जी जेएनयू में ही पढ़ती हैं, वो कहती हैं कि हम दिल्ली पुलिस के साथ हैं. अच्छी बात है. दिल्ली पुलिस पर जब लाठियां बरसाई गईं इसी दिल्ली में तब भी आपको दिल्ली पुलिस के साथ होना चाहिए था. आप हमेशा पुलिस या किसी संस्थान का साथ नहीं दे सकते.
जेएनयू विवाद पर कन्हैया कुमार ने कहा कि 100 बार झूठ बोलने से झूठ सच नहीं हो जाएगा. 4 साल से आपकी सरकार है किसको-किसको जेल भेजा आपने. गृह मंत्रालय आपका, राष्ट्रपति आपका, पिछली सरकार से ज्यादा सांसद हैं, क्यों नहीं आदेश निकाला. एक ही बात बोलते रहते हैं. आप कार्यवाही क्यों नहीं करते. मामला कोर्ट में है. देश को गुमराह क्यों कर रहे. कार्यवाही क्यों नहीं हो रही.
सिद्धार्थ यादव ने कन्हैया को जवाब देते हुए कहा कि मामला दिल्ली सरकार की वजह से लंबित है. पब्लिक प्रोसिक्यूटर बहाने बना रहे हैं. जिस दिन केजरीवाल सरकार चली गई, आप न चले जाएं. सरकार के खिलाफ बोलना चाहिए. लेकिन आप स्टेट के खिलाफ, कोर्ट के फैसले के खिलाफ बोलना शुरू कर देंगे तो वह गलत हो जाता है. आप सरकार के खिलाफ बोलिए.
कन्हैया ने उठाया सवाल- क्या जामिया की लाइब्रेरी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं
कन्हैया कुमार ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर मैंने देश के खिलाफ कुछ कहा है तो मेरे खिलाफ कार्यवाही होगी. पुलिस है कोर्ट है. जब कुलदीप सेंगर नहीं बच पाया तो मैं क्या चीज हूं अगर गलत किया है तो. मुद्दा जो बार-बार डायवर्ट किया जा रहा है, ये कहते हैं कि कोई छात्र बस नहीं जला सकता है. ठीक बात है. कोई स्टूडेंट बस जलाया भी नहीं है. पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान नहीं होना चाहिए. पब्लिक प्रॉपर्टी पब्लिक की है. मेरा सवाल है कि क्या जामिया पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है. क्या जामिया की लाइब्रेरी पब्लिक प्रॉपर्टी नहीं है. जामिया के जिन छात्रों को लाठी से पीटा गया वो भी तो पब्लिक है.
जामिया के छात्र ने माना- हमारा प्रदर्शन हाइजैक हो गया
जामिया के छात्र अली ने कहा कि हमारा प्रदर्शन हाइजैक हो गया. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि जो 10 लोग गिरफ्तार हुए उनमें से एक भी जामिया का छात्र नहीं है. उनके समर्थन में कोई जामिया का छात्र नहीं खड़ा हुआ. वीसी का एक वीडियो आया कि भगदड़ के बीच पुलिस के पास परमिशन लेने का वक्त नहीं था. और महोतरमा कहती हैं कि वहां 27 हजार छात्र थे. 48 घंटे होने जा रहे जिस तरह हमारी लाइब्रेरी को बर्बाद किया गया क्या अभी तक दिल्ली पुलिस के खिलाफ अभी तक एफआईआर नहीं दर्ज हो पाई है.
एबीवीपी नेता बोलीं- यह प्रोपेगेंडाहै
अली की बात का जवाब देते हुए एबीवीपी नेता अनिमा ने कहा कि जिन आंदोलनों में हिन्दुओं से चाहिए आजादी जैसे नारे लगें वो छात्र आंदोलन नहीं हो सकता. ये सबूत है कि वहां पिटाई नहीं हुई है. किसी ने कहा कि अपनी ही प्रॉपर्टी का नुकसान न करो. ये कोई पुलिस वाला तो नहीं बोलेगा. यह प्रोपोगंडा है. दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी लॉ एंड ऑर्डर का है. जेएनयू फी हाइक का मुद्दा था. छात्र मुद्दा स्टार्ट हुआ. एबीवीपी उसमें पहले दिन से शामिल था.
अली ने सफाई देते हुए कहा कि मुस्तफा मेरा दोस्त था जब लाइब्रेरी में पढ़ रहा था, पुलिस से उसे मारा. वो मत मारिए बोलता रहा. फिर पुलिस स्टेशन ले गए. उसने फोन करने की मांग की तो पुलिस ने नहीं दिया. मेडिकल ट्रीटमेंट की बात की तो कहा कि लेट हिम डाई. दो-तीन मरेंगे तो अकल ठिकाने लगेगी.
सिद्धार्थ यादव बोले- हम जामिया के छात्रों को विलेन नहीं कह रहे
इसके बाद सिद्धार्थ यादव ने कहा कि छात्रों के साथ जो हुआ उस पर तो जरूर जांच होनी चाहिए लेकिन छात्रों के आड़ में जो हुआ उस पर कौन बात करेगा. एक छात्र प्रदर्शन को हिंसक बना दिया गया. अगर छात्र पुलिस एक्शन में घायल हुए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा. पुलिस के तमाम वीडियो आए जिसमें पुलिस कह रही थी कि बाहरी लोग कैंपस में शेल्टर ले रहे हैं. हम जामिया के छात्रों को विलेन नहीं कह रहे. अगर जामिया के छात्र नागरिकता कानून के खिलाफ धरने पर बैठ कर बहस करना चाहते हैं तो करना चाहिए एबीवीपी भी बैठकर बात करेगी. स्टूडेंट बस नहीं जलाते.
अली ने चर्चा में जवाब देते हुए कहा कि यहां बार-बार बस जलाने की बात आ रही है. तीन बस जलाने के लिए कम से कम तीन लीटर केरोसीन चाहिए. हमारे पास इतना पैसा नहीं है. क्या आपने देखा किसी छात्र को बस के आसपास. यह गलत आरोप है.
कन्हैया कुमार ने की आजतक की तारीफ
कन्हैया कुमार ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि आजतक के पास एक टीम है जो झूठ की पड़ताल करती है. आजतक ने ही पड़ताल की थी और बताया था कि कन्हैया ने नारा नहीं लगाया था और वीडियो डॉक्टर्ड था. हमारे साथ जो एबीवीपी के लीडर थे सौरभ शर्मा जिनके प्रयास से यह केस मेरे ऊपर लगा था. उनको नियमों को ताक पर रखकर जेएनयू में नौकरी दी गई है.
कन्हैया बोले- एजुकेशन लगातार महंगा हो रहा
कन्हैया कुमार ने आगे कहा कि कैंपस बहस में क्यों है इसके दो कारण है. पहला कारण है कि कैंपस के विद्यार्थियों के पढ़ने के अधिकार पर लगातार हमला हो रहा है. सरकार ने एजुकेशन सेस का पैसा एजुकेशन पर खर्चा नहीं किया. लगातार एजुकेशन महंगा हो रहा है. इनकम लोगों की कम हो रही है, चीजें महंगी हो रही हैं. उसकी वजह से शिक्षा लोगों की पहुंच से दूर हो रही है. मात्र 1 फीसदी लोग हायर एजुकेशन में जा पा रहे हैं. हम जीडीपी का 3 फीसदी से भी कम एजुकेशन पर खर्च कर रहे हैं.
कन्हैया ने पूछा कि पीएम के लिए 5 करोड़ की कार क्यों
कन्हैया ने आगे कहा कि पढ़ने का अधिकार मुफ्तखोरी नहीं है. शिक्षा आपका मौलिक अधिकार है. सबको एजुकेशन मिलना चाहिए. स्टेट की जिम्मेदारी है कि हम उसकी प्रॉपर्टी हैं. हम सरकार को टैक्स देते हैं बदले में सरकार हमें सर्विस देती है. अगर इस देश का पैसा एजुकेशन पर खर्च नहीं होगा तो गुजरात की मुख्यमंत्री रुपाणी जी के लिए जो प्राइवेट जेट खरीदा गया उस पर 200 करोड़ क्यों खर्च होना चाहिए. प्रधानमंत्री के लिए 5 करोड़ की कार क्यों खरीदी गई. प्रॉयोरिटी तय करना बहुत जरूरी है.
कन्हैया ने कहा कि एजुकेशन लेना मुफ्तखोरी नहीं है. जो एजुकेट होते हैं वो बाहर निकलकर सर्विस देते हैं. विश्वविद्यालयों के गेट पर क्या लिखा रहता है, शिक्षार्थ आइए सेवार्थ जाइए. जेएनयू से निकला छात्र बड़ी नौकरी करता है. जामिया के इलाके का जो डीएसपी है वो जेएनयू से पढ़ाई करके निकला है.
चर्चा के बीच उठा दिल्ली पुलिस के एक्शन का मुद्दा
चर्चा के बीच जामिया के छात्र अली ने कहा कि मैं छात्र का दर्द बयां करने आया हूं. बच्चों को अस्पताल से दिल्ली पुलिस उठा कर ले जाती है क्या यह उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है.
इस बात के जवाब में यादव ने कहा कि क्या गृह मंत्री अपने साथ नई फोर्स लेकर आए थे. ये वही लोग हैं जो पहले से थे और आपके बीच के हैं. हर चीज को ब्लेम करने से पहले खुद को भी जज करना चाहिए. एबीवीपी लगातार कहती रही है कि बजट का 10 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च होना चाहिए. प्रोपोगंडा चल रहा है कि 2014 से ही सब खत्म हो गया जैसे पहले 20 प्रतिशत खर्च हो रहा था. अफॉर्डेबल एजुकेशन आपका अधिकार है. स्टूडेंट प्रोटेस्ट के आड़ में दूसरे मुद्दे उठाए जा रहे. आपने इतनी समस्या गिनाईं एक समाधान गिना दीजिए.
कन्हैया ने स्मृति ईरानी को घेरा
कन्हैया कुमार ने चर्चा के दौरान कहा कि जब हम छात्र नेता थे तो स्मृति ईरानी एचआरडी मिनस्टर थीं. कमाल की चीज हुई थी उस वक्त 2014 में वो ग्रेजुएट थीं. बाद में चुनाव में वो 12वीं पास हो गईं. लोग आगे चले जाते हैं वो पीछे चली गईं. कैसे, क्योंकि वो झूठ बोली थीं. चुनाव आयोग से झूठ बोली थीं. आप लोग भी झूठ बोलने में माहिर हैं. रसिया, स्टालिन कहां-कहां चले जाते हैं. लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं देंगे कि देश में क्या हो रहा है.
कन्हैया ने आगे कहा कि आज एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक जेंडर इक्विलिटी में भारत 117 वें नंबर पर है. मैं बार-बार कह रहा हूं कि इस देश में देश के नागरिकों के खिलाफ साजिश रची जा रही है. उनके मुद्दों को डायवर्ट कर दिया जाता है. नागरिकता कानून के बहस को हिन्दुस्तान-पाकिस्तान बनाया जा रहा है.
जामिया के छात्र अली के एक बार फिर टोकने पर एबीवीपी नेता सिद्धार्थ यादव ने कहा कि छात्रों के साथ जो गलत हुआ हम उनके साथ हैं. लेकिन छात्रों के आड़ में जो हुआ उसकी भी जांच होनी चाहिए.
सभी ने बारी-बारी से सुनाए अपने नारे
अंत में सभी छात्र नेताओं से मौजूदा हालात पर एक-एक नारा सुनाने की अपील की गई. एबीवीपी नेता अनिमा सोनकर ने कहा- कदम-कदम पर लड़े हैं तुमसे, कदम-कदम पर लड़ेंगे तुमसे. एबीवीपी दिल्ली के राज्य सचिव सिद्धार्थ यादव ने एबीवीपी का नारा सुनाते हुए कहा- कश्मीर हो या गुवाहाटी, अपना देश अपनी माटी. जब कन्हैया कुमार की बारी आई तो उन्होंने कहा कि जिस तरह के आज हालात हैं ऐसे में एक ही नारा बोला जा सकता है- जुल्मी जब-जब जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से, चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से. अंत में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र मोहम्मद अफजल अली ने कहा कि नारेबाजी में मैं थोड़ा कच्चा हूं इसलिए राहत इंदौरी की दो लाइनें सुना देता हूं जो आज अल्पसंख्यकों पर बिलकुल सटीक बैठती हैं. अली ने कहा- सभी का खून शामिल है यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़े ही है.