बहस के सबसे बड़े मंच एजेंडा आजतक में सोमवार को अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी एक साथ थे. नागरिकता का धर्म विषयक सत्र में दोनों ही नेताओं ने नागरिकता संशोधन विधेयक के साथ ही जामिया मिलिया विश्वविद्यालय की घटना पर भी खुलकर बात की.
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि अफवाहों से अमन को अगवा नहीं किया जा सकता. नागरिकता कानून किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं, नागरिकता देने के लिए है. उन्होंने कहा कि तीन देशों के अल्पसंख्यकों को जिन पर जुल्म हुआ, जो यहां अपमान झेल रहे हैं, उन्हें सम्मान देने के लिए नागरिकता संशोधन एक्ट लाया गया.
उन्होंने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत को मानवता का समुद्र कहा था. मानवता के समुद्र से मानवता की अलख जगनी चाहिए. नकवी ने कहा कि हमारे पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा, वह प्रताड़ित हो रहा. अपमानित हो रहा है. हमने उसे सम्मान दिया तो क्या आपत्ति हो सकती है.
नकवी ने असदुद्दीन ओवैसी और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि आपकी नागरिकता खतरे में है. उन्होंने आश्वस्त किया कि जिन मुस्लिमों की पुश्तें भारत में रही हैं, उनकी नागरिकता को खतरा नहीं है.
नकवी ने पूर्वोत्तर से जामिया तक फैली हिंसा को लेकर असेसमेंट फेल होने के सवाल पर कहा कि कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं. अब अफवाहों से असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि किस तरह असली मुद्दों को डाइवर्ट किया जाए, ओवैसी इसके एक्सपर्ट हैं. देश में भय का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि एनआरसी से मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी. उन्होंने हिंसा के पीछे मन्शा पर भी सवाल उठाया.
नकवी ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की घटना की कड़ी निंदा की और विश्वविद्यालय में पुलिस के बगैर अनुमति घुसने पर कहा कि यह पहला अवसर नहीं. लखनऊ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और बीएचयू में भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि न तो किसी ने छात्रों को बस फूंकने के लिए, तोड़फोड़ और हिंसा करने के लिए कहा और ना ही पुलिस से ही कहा. नकवी ने इस घटना की निंदा की और कहा कि इस घटना की जांच होगी और कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम किसी भी स्तर पर किसी भी तरह की हिंसा के पक्ष में नहीं हैं.