केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि टेलीकॉम सेक्टर में किसी एक कंपनी का एकछत्र राज नहीं होने दिया जाएगा. दिल्ली में आयोजित एजेंडा आजतक के दूसरे दिन एक महत्वपूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए रविशंकर प्रसाद ने यह बात कही.
क्या कहा रविशंकर प्रसाद ने
क्या सरकार की शह पर एक टेलीकॉम कंपनी की मोनोपाली चल रही है, इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'टेलीकॉम सेक्टर में किसी का भी एकछत्र राज नहीं होने देंगे. हम तो सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को भी रिवाइव करने में लगे हैं. देश के पिछड़े सीमांत इलाकों में इन्हीं कंपनियों के भरोसे टेलीकॉम सर्विस का विकास हुआ है और आगे भी होगा. अच्छी बात यह है कि इन कंपनियों के 92 हजार लोगों ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है.'
क्या है मसला
गौरतलब है कि कई निजी कंपनियों का यह आरोप रहा है कि सरकार की नीतियों से एक टेलीकॉम कंपनी जियो को फायदा हो रहा है. जियो से मिल रही तगड़ी प्रतिस्पर्धा से बाकी निजी कंपनियों की हालत बहुत खराब है. इसके अलावा सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की वजह से कई टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं.
हाल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एजीआर देने के आदेश से उनकी कमर ही टूट गई है. इससे टेलीकॉम कंपनियों को करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये का एजीआर सरकार को देना होगा. एयरटेल को इसके तहत 43,000 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया को 40,000 करोड़ रुपये देने होंगे.
वोडाफोन आइडिया को दूसरी तिमाही में भारतीय कॉरपोरेट इतिहास का सबसे ज्यादा 50,921 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है. इसी तरह एयरटेल को भी 23,045 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है.
सिग्नल में हो रहा सुधार
सिग्नल के सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अब सिग्नल में सुधार हो रहा है. लेकिन टावर की कमी की वजह से थोड़ी मुश्किल होती है. टावर लगाने में काफी मुश्किल होती है. हमें तो संसद के आसपास टावर लगवाने के लिए छह महीने की मशक्कत करनी पड़ी.
उन्होंने कहा, '130 करोड़ के हिंदुस्तान में 121 करोड़ मोबाइल फोन, 124 करोड़ आधार कार्ड हैं. हमने 37 करोड़ उन गरीबों के एकाउंट खोले जो बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे. 8 लाख करोड़ रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर किए गए.
उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल इकोनॉमी आगे बढ़ रही है, दुनिया में सबसे ज्यादा फेसबुक, व्हाट्सऐप भारत में है. लेकिन आतंकियों और भ्रष्ट लोगों की कोई निजता नहीं होती. उनके बारे में डेटा तो जरूरत पड़ने पर सरकारें लेती ही हैं. यह कानूनी तरीके से होता है.
उन्होंने कहा, 'भारत में डेटा बिलियंस में आता है, हम चाहते हैं कि भारत डेटा प्रोसेसिंग का सेंटर बने. हम भारत को दुनिया की टॉप डेटा इकोनॉमी बनाना चाहते हैं.'