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पड़ोसी देशों से हिंदुओं को आने देना महात्मा गांधी का कमिटमेंट था, विरोध क्यों: अमित शाह

अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख, यदि वहां नहीं रहना चाहते, तो नि:संदेह भारत आ सकते हैं. इस मामले में उनको रोजगार देना, नागरिकता देना और सम्मानपूर्वक सुखकर जीवन देना भारत सरकार का प्रथम कर्तव्य है.

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अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री (फोटो- शेखर घोष, इंडिया टुडे)
अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री (फोटो- शेखर घोष, इंडिया टुडे)

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  • यूरोप के कई देशों ने नागरिकता के लिए नियम बनाए हैं
  • इंवेस्टमेंट करोगे तभी नागरिकता मिलेगी. क्या ये भेदभाव नहीं?

कांग्रेस पार्टी नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही है. वहीं गृह मंत्री अमित शाह उसके इस विरोध को वोट बैंक की राजनीति बता रहे हैं. देश के नंबर वन न्यूज चैनल आजतक के 'एजेंडा आजतक' के आठवें संस्करण के दूसरे दिन अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों को शरण देने की जरूरत है, क्योंकि वो प्रताड़ित हैं और पिछले 70 सालों से नर्क का जीवन जी रहे हैं.

गृह मंत्री शाह ने कहा, 'बंटवारे के वक्त भारत का वचन था कि जो हिंदू और सिख भाई वहां रह गए हैं, जो उस देश में अल्पसंख्यक हैं, अगर वो उस देश में रहना नहीं चाहते तो भारत देश उन्हें स्वीकार करेगा. यह हमारे देश के सदन का वचन है, देश के गवर्नर जनरल का वचन है, इस देश के प्रधानमंत्री का वचन है और सबसे ऊपर महात्मा गांधी का वचन है. जिसको पूरा देश मानता है. फिर इनकी एंट्री पर क्यों सवाल उठाया जा रहा है?'

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गृह मंत्री ने इससे पहले कहा, 'जहां तक भेदभाव का सवाल है, यूरोप के कई देशों ने नागरिकता के लिए नियम बनाए हैं कि इतना इंवेस्टमेंट करोगे तभी हमारे देश की नागरिकता मिलेगी. क्या ये गरीबों के साथ भेदभाव नहीं है? इतने पढ़े लिखे होंगे तभी हम आपको नागरिकता देंगे, क्या ये अनपढ़ के साथ भेदभाव नहीं है. भारत के पढ़े-लिखे वैज्ञानिकों को ले रहे हो तो भारत के गरीब को भी ले जाओ. जो हमें पूछ रहे हैं कि भेदभाव क्यों कर रहे हैं? तो आपने भी अलग तरीके से भेदभाव किया है. लेकिन हमने कोई भेदभाव नहीं किया है.'

पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को लेकर कांग्रेस समेत बड़े नेताओं ने क्या कहा?

अमित शाह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क्या कहा?

'जवाहर लाल नेहरू- हमें राजनीतिक सीमाओं के कारण हमसे दूर हो चुके अपने भाईयों-बहनों को जो देख रहे हैं और इस समय स्वतंत्रता सामरोह में शामिल नहीं हो सकते हैं. उनकी भी चिंता है. चाहे कुछ भी हो जाए वो हमारे हैं और हमेशा हमारे ही रहेंगे. उनके सुख-दुख में हम समान रूप से सहभागी होंगे और वो जब भी आना चाहेंगे हम उन्हें स्वीकार करेंगे.'

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'राजेंद्र प्रसाद ने अपने शपथग्रहण के वक्त कहा- हम उन विस्थापित व्यक्तियों को पुनर्स्थापित करने के लिए व्यग्र हैं, जो काफी कठिनाई और असुविधा झेल रहे हैं. वो कभी भी यहां आएं उनका स्वागत है.

'कांग्रेस पार्टी का प्रस्ताव- 25 नवंबर 1947- कांग्रेस कार्यकारिणी ने निम्नलिखित संकल्प अंगीकार किया. कांग्रेस पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है. जो उनके जीवन और सम्मान की रक्षा करने के लिए जो सीमा पार कर के भारत आए हैं या आने वाले हैं.'

'महात्मा गांधी- 7 जुलाई 1947- पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख, यदि वहां नहीं रहना चाहते, तो नि:संदेह भारत आ सकते हैं. इस मामले में उनको रोजगार देना, नागरिकता देना और सम्मानपूर्वक जीवन देना भारत सरकार का प्रथम कर्तव्य है.'

'मनमोहन सिंह- 18 दिसंबर 2003- अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. अगर हालात इन लोगों को मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व इन अभागे लोगों को नागरिकता प्रदान करना है. इस बारे में सरकार को सोचना चाहिए.' 

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