Agenda Aaj Tak 2023: बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शनिवार को 'एजेंडा आज तक 2023' के मंच पर आए. इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने अपने जीवन का एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया एक बार कैसे ट्रेन में उनकी जेब कट गई थी और फिर उन्हें अपनी लुटी हुई रकम कैसे वापस मिली.
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि साल 2014-15 में एक बार वो ट्रेन में सफर कर रहे थे. उनके जेब में 1,300 रुपये और नोकिया का कीपैड वाला फोन था. जैसे ही गाड़ी मथुरा जंक्शन पर पहुंची, किसी ने उनकी जेब काट ली. उनके रुपये और फोन दोनों चोरी हो गए. अब उनके पास एक छोटे से डिब्बे में हनुमान जी ही बचे थे. तब उन्होंने मन ही मन हनुमान जी से चर्चा की कि आगे क्या करना है. उन्होंने तय किया कि वो बिना टिकट के ही ट्रेन में यात्रा करेंगे.
उन्होंने सोचा कि यात्रा जब बिना टिकट के ही करनी है तो जनरल डिब्बे में क्यों जाएं. इसलिए वो AC डिब्बे में सवार हो गए. रात का समय था और डिब्बे में सभी यात्री सोए हुए थे. मौका देखकर धीरेंद्र शास्त्री टॉयलेट के पास जाकर खड़े हो गए. एसी डिब्बे की हवा खाने के लिए वो बीच-बीच में दरवाजा भी खोलते रहे. तभी अचानक वहां टीटी आ गया और उसने टिकट दिखाने को कहा.
धीरेंद्र शास्त्री ने बड़ी विनम्रता से कहा, 'श्रीमान जी अगर हमारे पास टिकट होती तो क्या हम यहां खड़े होते. आराम से अपनी सीट पर बैठे होते.' टीटी ने उन्हें बच्चा समझकर छोड़ दिया और कहा कि यह एसी डिब्बा है. ट्रेन आगे ग्वालियर स्टेशन पर रुकेगी. तुम उतरकर जनरल डिब्बे में चले जाना. फिर धीरेंद्र शास्त्री ने टीटी से कहा, 'अगर मुझे जनरल डिब्बे में ही जाना होता तो क्या मैं एसी डिब्बे में आता.'
यह सुनते ही टीटी नाराज हो गया. उन्होंने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाला और कहा कि मैं अभी पुलिस को बुला रहा हूं. तुम पर 1,250 रुपये का जुर्माना लगेगा और 6 महीने की जेल होगी. टीटी की धमकियां सुनते ही धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमान जी से प्रार्थना की और अपनी सिद्धियों का नमूना टीटी को दिखा दिया.
जब टीटी को अपनी सिद्धियों से चौंकाया
धीरेंद्र शास्त्री ने टीटी को उसके नाम से पुकारते हुए कहा कि क्या तुम्हारा नाम फला फला है. टीटी को लगा कि बच्चे ने उसके कोट पर लगी नेम प्लेट पढ़ ली है. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने टीटी से पूछा कि क्या तुम्हारे पिता का नाम सुजान सिंह है. यह सुनते ही टीटी हैरान हो गया. उसने पूछा कि तुम ये सब कैसे जानते हो. तब धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मैं तो यह भी जानता हूं कि तुम्हारी पत्नी का नाम सरिता है.
यह सब सुनने के बाद टीटी परेशान हो गया. उसने पूछा कि क्या तुम बिहार से हो. धीरेंद्र शास्त्री ने फौरन अपने स्कूल का आई कार्ड निकाला और पूरा नाम-पता पढ़ दिया. टीटी ने फिर पूछा कि तुम मेरे बारे में इतना कैसे जानते हो. फिर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मैं यह भी जानता हूं कि तुम्हारा कोई बेटा नहीं है. ये सुनते ही टीटी ने अपना मोबाइल जेब में डाला और उन्हें अपने साथ ले गया.
टीटी ने धीरेंद्र शास्त्री को अपनी सीट पर बैठाया और चाय के लिए पूछा. धीरेंद्र शास्त्री ने पलटकर कहा चाय नहीं कॉफी मंगवाओ. तब उन्होंने टीटी को अपने बारे में विस्तार से बताया. पूरी रात टीटी उनकी बात सुनता रहा और किसी की टिकट चेक नहीं की. सुबह ट्रेन जब झांसी पहुंची तो टीटी ने धीरेंद्र शास्त्री को अपना गुरु मान लिया. इसके बाद धीरेंद्र शास्त्र ने उन्हें घर में पुत्र आने का भी आशीर्वाद दिया.
ऐसे वापस आए ट्रेन में चोरी हुए पैसे
टीटी ने खुश होकर धीरेंद्र शास्त्री को 1,100 रुपये दिए और कहा कि मेरी तरफ से यह छोटी से भेंट स्वीकार करें. धीरेंद्र शास्त्र ने फौरन पैसे पकड़ लिए. स्टेशन से बाहर जाते ही धीरेंद्र शास्त्री ने मन ही मन कहा कि 1,300 कट गए, 1,100 वापस आ गए, बाकी 200 टिकट में चले गए. इसके बाद उन्होंने बस पकड़ी और सीधे बागेश्वर धाम पहुंचे. कुछ समय बाद टीटी के घर एक पुत्र का जन्म हुआ. फिलहाल वो टीटी कोयंबटूर में अधिकारी पद पर कार्यरत है.