पिछले दो वर्षों की बात करें, तो रूस और यूक्रेन के बीच जो युद्ध चल रहा है. पांच लाख सिपाही मारे गए या घायल हुए. इजरायल और हमास के बीच 18 हजार के करीब लोग मारे गए हैं. अजरबैजान और आर्मेनिया में युद्ध हो रहा है. भारत का चीन और पाकिस्तान से सीमा पर तनाव बना रहता है. अगले साल देश के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है?
इस सवाल पर भारतीय थल सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि दुनिया में जो हो रहा है, उससे ये जाहिर होता है कि लड़ाई छिपी हुई है. कभी भी हो सकती है. इसलिए राष्ट्र को हमेशा लड़ाई के लिए तैयार होना चाहिए. अगर आप को शांति चाहिए तो हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहिए. ये एक रोमन विचारक ने कहा था.
देश के सामने जो खतरे हो सकते हैं, उस पर कौटिल्य ने कहा था राष्ट्र के सामने चार खतरे होते हैं. बाहरी, अंदरूनी, बाहर से समर्थन वाले अंदरूनी खतरे, और अंदर से समर्थन वाले बाहरी खतरे. अंदरूनी खतरे ज्यादा खतरनाक है. अंदरूनी खतरों को समझना, उनसे लड़ना ज्यादा कठिन है. हमारे अंदरूनी सुरक्षा के मसलों को सुलझाना चाहिए. ताकि देश के लिए कोई खतरा न हो.
साइबर थ्रेट का खतरा लगातार बढ़ रहा है
साइबर थ्रेट लगातार बढ़ता जा रहा है. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ रही है. वैसे-वैसे खतरे के बीच की बाउंड्री भी बढ़ रही है. ये खतरे लगातार बाउंड्री पार कर रहे हैं. ये बढ़ने वाला है. हमारी नजर है. हमारी कार्यवाही जारी है. लेकिन इसके बारे में ज्यादा बात नहीं कर सकते. ये देश के लिए ठीक नहीं होगा. साइबर थ्रेट से बचने के दो तरीके हैं. ऑफेंसिव और डिफेंसिव. हम डिफेंसिव हैं. ये जरूरी भी है. ताकि जागरूकता फैले.
भितरघात का खतरा हमेशा बना रहता है
भारतीय वायुसेना के पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भितरघात का खतरा है. ये लगातार विकसित हो रहे हैं. सस्ते हथियार. सस्ते ड्रोन्स. आतंकी गतिविधियों का खतरा रहेगा. हमें तैयारी चीन के हिसाब से करनी चाहिए. नॉन-स्टेट एक्टर्स की एक्टिविटी पर ध्यान चाहिए. साइबर थ्रेट को बहुत ध्यान से देखना पड़ेगा. मिलिट्री और नॉन मिलिट्री थ्रेट को लेकर. पूरे देश के नजरिए से साइबर और स्पेस पर ध्यान देना चाहिए.
डिफेंस से जुड़ी निजी कंपनियों को सतर्क रहना होगा
साइबर थ्रेट की जागरूकता सबको पता होना चाहिए. स्पेस के कुछ स्टार्टअप्स से मिल रहे थे. उनकी सूचनाएं अब ही चोरी होने लगी हैं. मिलिट्री बहुत जल्दी समझती है. एक्शन लेती है. लेकिन प्राइवेट कंपनियों को इसे संभालना चाहिए. उन्हें इससे बचना चाहिए. उसकी तैयारी करनी चाहिए. कड़े कदम उठाने पड़ेंगे.