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Agenda Aaj Tak 2023: 'हमारे राज्य से ना अधिकारी आए ना मंत्री...', उत्तरकाशी टनल से निकले बिहार के मजदूर का छलका दर्द

Agenda Aaj Tak 2023: सबा अहमद ने कहा कि हम लोग उत्तराखंड सरकार, केंद्र सरकार और कंपनी को शुक्रिया कहना चाहते हैं. हालांकि हमें इस बात का मलाल है कि हमारे राज्य बिहार की सरकार की तरफ से किसी ने सुध नहीं ली. मंत्री या अधिकारी हालचाल लेने तक नहीं पहुंचा.

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एजेंडा आजतक में अनुभव साझा करते सबा अहमद (फोटो क्रेडिट- हार्दिक छाबड़ा, राजवंत)
एजेंडा आजतक में अनुभव साझा करते सबा अहमद (फोटो क्रेडिट- हार्दिक छाबड़ा, राजवंत)

Agenda Aaj Tak 2023: एजेंडा आजतक के महामंच पर उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 17 दिन तक फंसे मजदूरों और रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरोज ने शिरकत की. सेशन के दौरान सुपरवाइजर सबा अहमद ने अपने अनुभव साझा किए. सबा अहमद ने कहा कि हम लोगों ने यह तय कर लिया था कि घर की टेंशन नहीं लेंगे. क्योंकि जितना सोचेंगे, उतनी ही तबीयत बिगड़ेगी. अपने बारे में सोचना शुरू किया. अच्छे से खाने और रहने के लिए प्रोत्साहित किया. जहां रह रहे थे, वहां साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा. 

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सबा अहमद ने कहा कि हम लोग उत्तराखंड सरकार, केंद्र सरकार और कंपनी को शुक्रिया कहना चाहते हैं. हालांकि हमें इस बात का मलाल है कि हमारे राज्य बिहार की सरकार की तरफ से किसी ने सुध नहीं ली. मंत्री या अधिकारी हालचाल लेने तक नहीं पहुंचा. हमारे घर पर भी कोई नहीं आया. ब्लॉक स्तर के अधिकारी ने भी आना मुनासिब नहीं समझा. ये दुख की बात है. उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि बिहार सरकार बनाने में मेरा सहयोग नहीं है क्या? झारखंड-यूपी के अधिकारी मौके पर पहुंचे. जितने राज्यों के लोग फंसे थे, हर राज्य ने अपने अधिकारियों को मौके पर भेजा और सम्मानित किया. सिर्फ बिहार को छोड़कर.

सेशन में रैट माइनर्स मुन्ना कुरैशी ने भी अपने एक्सपीरियंस शेयर किए. उन्होंने कहा कि मेरे पार्टनर वकील हसन के पास 22 नवंबर को सूचना आई थी. उन्होंने मुझे पूरी घटना के बारे में बताया. मैंने मौके का वीडियो मंगाया और देखा. उसके बाद मैंने पार्टनर से कहा कि हम साइट पर चलेंगे और मदद करेंगे. उन्होंने मुझसे कहा कि एक घंटे में जाना है. तुरंत अपनी पूरी टीम के साथ तैयार हो जाओ. हम 12 लोगों की टीम के साथ 24 नवंबर की सुबह मौके पर पहुंचे. इनमें 6 लोग दिल्ली के रहने वाले थे. हम लोग अपने खर्चे पर जाने को तैयार थे, क्योंकि अंदर 41 जिंदगियों पर संकट था. जैसे हम मजदूर हैं, वैसे ही वो मजदूर थे- जो 17 दिन से अंदर फंसे थे. 

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मुन्ना ने कहा कि वहां पहुंचने के बाद हम लोग अंदर गए तो देखा कि सरिया डले हैं. रोड भी बहुत थे. खुदाई करना आसान काम नहीं था. ऑगर मशीन के ऑपरेटर ने कहा कि हम एक बार फिर ट्राई करेंगे. लेकिन हालात देखकर मैंने उनसे कहा कि वहां मशीन के काम करने की कंडीशन नहीं है. फंस जाएगी. कुछ देर बाद वही हुआ, जो आशंका थी. हम लोग टेंशन में आ गए. तीन दिन बाद ऑगर मशीन निकल पाई. हमारा ऑपरेशन तीन दिन लेट हो गया. हम लोग अंदर खुदाई के लिए घुसे. गाटर और चैनल काटे गए. बहुत मुश्किलें आईं. टीम के साथियों को हाथ-पैर में चोटें पहुंचीं, लेकिन किसी ने हार नहीं मानी. 

रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरे मुन्ना कुरैशी ने कहा कि मेरे मन में यही चल रहा था कि मजदूरों पर कोई आंच नहीं आना चाहिए. देश का सवाल है. हम लोग पीछे नहीं हटे. टनल के अंदर टॉयलेट-बाथरूम नहीं थी. मशक्कत के बाद हम लोग पहली बार मजदूर साथियों तक पहुंचे. वहां मजदूरों ने हमें चॉकलेट खिलाई. मेरी टीम के साथियों को काजू-बादम खिलाए. मजदूरों ने कहा कि आप हमारे लिए भगवान के ओहदे जैसे हैं. हम लोग सभी मजदूर साथियों को बाहर निकालने में कामयाब हो गए. बता दें कि दिवाली की सुबह 12 नवंबर को उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लैंडस्लाइड होने से निर्माणाधीन टनल में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे.

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