वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस कानून को लाने से पहले सभी पक्षों से चर्चा की गई थी. शुक्रवार को एजेंडा आजतक एक महत्वपूर्ण सत्र में आईं वित्त मंत्री ने यह बात कही.
वित्त मंत्री ने कहा, 'तीनों कानून लाने से पहले विस्तार से चर्चा हुई थी. हर पक्ष से चर्चा हुई थी. ऐसा नहीं कि अचानक यह आ गया हो. जो दल आज विरोध कर रहे हैं उनके भी मैनिफेस्टो में इस कानून की चर्चा है. पंजाब में भी ये कानून है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान जा सकते हैं. हर पार्टी पिछले 10-15 साल से समर्थन में थी. शरद पावर ने पीएम को लेटर लिखा था. लोकसभा और राज्यसभा में इस पर अच्छे से चर्चा हुई थी.'
उन्होंने कहा कि यह सुधार अचानक नहीं आया, प्रतिबद्धता के साथ आया, किसानों, खासकर छोटे किसानों के हित में आया. हम कुछ किसानों को समझा नहीं पाए, इसलिए इसे वापस लिया गया. अब फार्म सेक्टर में रिफॉर्म का क्या होगा? इस सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि समय के हिसाब से इसे डील करेंगे. उन्होंने कहा कि किसान कानून को वापस लेने का सरकार के बाकी सुधार कार्यक्रमों पर असर नहीं पड़ेगा.
क्या सरकार हिल गई
वित्त मंत्री ने कहा कि किसान कानून को लेकर सरकार हिली, ऐसा नहीं है. प्रधानमंत्री जी ने इस पर लोगों को बात करने के लिए बुलाया और आखिरी वक्त तक कहा कि कानून में कमी की बात दिखाएं. लेकिन जब वो नहीं हुआ तो उन्होंने सबके सामने आकर इसे वापस ले लिया. लेकिन हर मामले में ये होगा ऐसा नहीं है.
देश की जनता को पीएम पर भरोसा
कोरोना के नए वैरिएंट आने पर उन्होंने कहा कि कोई भी वैरिएंट हो सरकार एक्शन लेने के लिए तैयार है. राज्यों को केंद्र सरकार ने लेटर लिखा है. प्राथमिकता पूरी तरह से वैक्सीनेशन पर है, फिर भी प्रोटोकॉल फॉलो कर रहे हैं. वैरिएंट कितना फैलेगा अभी कोई क्लैरिटी नहीं. जनता के मन में सरकार के ऊपर भरोसा है. वैक्सीनेशन को इतना स्पीड से किया. पारदर्शिता से किया. भारत की जनता को प्रधानमंत्री के ऊपर 100 फीसदी भरोसा है.