बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एजेंडा आजतक के मंच पर 'बिहार का बा' सेशन में सूबे से जुड़े अहम मुद्दों पर बातचीत की. इस दौरान उन्होने प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी पर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि लोकतंत्र में पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने का अधिकार सबको है.
जनसुराज फुलझड़िया पार्टी
तेजस्वी यादव ने जनसुराज पर आगे बोलते हुए कहा कि कुछ लोग होते हैं फुलझड़िया पार्टी वाले. फुलझड़िया लोगों और उनकी पार्टी के बारे में क्या ही बात करनी. शोर मचा कर आते हैं, फुस्स साबित होते हैं. ये बीजेपी प्रयोजित पार्टी है. बीजेपी का प्रयास रहा है कि सामने से नहीं लड़ पाए तो पीछे से हराओ. हमारे चाचा नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि उन्होंने अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को उपाध्यक्ष बनाया था. इससे ज्यादा प्रूफ क्या ही चाहिए.
जब दूसरों को सीट दे देंगे तो लड़ेंगे कहां से
ओवैसी को बिहार में सीट देने की बात पर तेजस्वी यादव कहते हैं कि एसपी, बीएसपी, शिवसेना सब लड़ना चाहते हैं. जब सबको दे ही देंगे तो हम कहां से लड़ेंगे. हम बिहार-झारखंड में ही लड़ते हैं. हमारे यहां सीट शेयरिंग फॉर्मूला स्पष्ट है- विनेबिलिटी फैक्टर. हम दिल्ली में साउथ दिल्ली से लड़ जाएं, तो जीतेंगे क्या? रीजनल पार्टी को ड्राइविंग सीट पर होना चाहिए.
चिराग पासवान को दी ये सलाह
नीतीश कुमार को चाचा कहने और वापसी दरवाजा खुला रखने की बात पर तेजस्वी यादव कहते हैं कि जब छोटे थे तब से चाचा कहते रहे हैं. तब तो हमको दरवाजा का भी पता ही नहीं था. अब रिश्ता है तो है. राजनीतिक रूप से देखिएगा तो ऐसा चाचा नहीं चाहिए हमें. कल को हमको कहते थे, अब आपको ही सब आगे देखना है, आगे यही देखेगा. फिर उन्होंने क्या किया सबने देखा. हमने चिराग पासवान को बोला है कि मत फंसना तुम. दोबारा जब आए, हमने कहा कि आप ही देखिए ना जब तक हैं.
हम सब लोगों की पार्टी
राजद कुछ खास जातियों की पार्टी है ऐसे आरोप पर तेजस्वी यादव कहते हैं कि हमने हर जाति के लोगों को नौकरी दी. कोई ये नहीं कह सकता है कि तेजस्वी ने फला जाति के लोगों को ही नौकरी दी है. हम तो एमवाई बाप पार्टी है. हमारी पार्टी मुस्लिम, यादव, बहुजन अगड़ा और गरीब सबके लिए हैं.
EVM को लेकर क्या बोले तेजस्वी
EVM के सवाल पर भी तेजस्वी यादव ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि इवीएम को लेकर संदेह बहुत ज्यादा है. अभी उत्तर प्रदेश में बीजेपी एक ऐसे सीट से चुनाव जीती है जहां माइनोरिटी 70 प्रतिशत है. वहां माइनोरिटी के कैंडिडेट को बी वोट नहीं मिलता है. पिछले चुनावों में ऐसा कभी नहीं हुआ. ऐसे में संदेह तो उठता है. ईवीएम में ये लोग कुछ करते हैं तो बहुत माइन्यूटली ही करते होंगे. छोटी-छोटी बेईमानी करते होंगे. ये फीडबैक हमारे ग्राउंड पर काम कर रहे वर्कर्स की तरफ से भी आया है.