Agenda Aajtak 2021: 'एजेंडा आजतक' के कार्यक्रम में शुक्रवार को शामिल हुए कांग्रेस प्रवक्ता और श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने देश के लिए बिगड़ती अर्थव्यवस्था के लिए नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया. तिवारी ने कहा कि 2016 में नोटबंदी, फिर जीएसटी और उसके बाद कोविड से देश की अर्थव्यवस्था गर्त में चली गई. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से पहले की अपेक्षा आज मार्केट में ज्यादा कैश है.
बकौल मनीष तिवारी, 'नोटबंदी के समय कहा गया था कि कालाधन खत्म हो जाएगा, लेकिन क्या कालाधन रुका? आतंकवादियों की फंडिंग रुक जाएगी, लेकिन क्या मदद रुकी? और दावा किया गया था कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन नोटबंदी से पहले की अपेक्षा आज देश की अर्थव्यवस्था में ज्यादा कैश है.'
यह भी पढ़ें:- मनीष तिवारी का सवाल- मनरेगा गड्ढे खोदने के लिए थी, तो अब तक बंद क्यों नहीं की?
पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तेल की कीमत इस देश में 35 से 40 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए थी, तब इस सरकार ने टैक्स नहीं घटाया और आम जनता पर महंगाई का भार डालते रहे. आज हो सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हों, लेकिन 2014-16 तक तेल की कीमतों में ऐतिहासिक कमी रही, मगर उस दौरान एनडीए सरकार ने टैक्स लगाकर 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक भारत की जनता से वसूल लिए.
कांग्रेस जमीन पर क्यों नहीं है?
इस सवाल के जवाब में सांसद तिवारी ने आगे कहा कि आज कोई भी सर्वे कराएंगे तो देश का हर व्यक्ति महंगाई की मार झेलता मिलेगा. इसी मुद्दे पर हमने हिमाचल प्रदेश में लोकसभा का उपचुनाव भी जीता है. इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि हमारी पार्टी इन मुद्दों को नहीं उठा रही. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने पिछले महीने फतह हासिल की थी.
यह भी पढ़ें:- चुनाव आते ही कैसे कम हो जाती हैं तेल की कीमतें? केंद्रीय मंत्री ने दिया ये जवाब
भाई-भतीजे की तिजोरियां नहीं भरी हैं
इसके पलटवार में कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था महामारी के चलते प्रभावित हुई है. एक्साइज ड्यूटी बढ़ाना वक्त की जरूरत थी. सरकार ने इस पैसे को गरीबों के कल्याण में लगाया है, न कि अपने भाई-भतीजे की तिजोरियां भरी हैं. केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में बहुत कुछ हुआ है. इसे हमें नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्यूल प्राइसेस से भारत का प्रभावित नहीं होना असंभव है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ती हैं तो उसका प्रभाव भारत पर भी पड़ता है.